बुधवार, 5 जुलाई 2017

अपनो का अपनो को मारना

ईद की क्या मुबारकबाद पेश करूँ जब अपने ही वतन में अपने ही नागरिकों को कुछ लोग केवल एक धार्मिक पहचान अलग होने की वजह से एक दो नही बल्कि पूरे का पूरे गांव, कस्बा, और सम्प्रदाय के लोग एक निहत्थे इंसान को जान से मार देते है, और साथ ही साथ वीडियो ग्राफी करके उसको सोशल मीडिया पर वायरल कर देते है उनकी हौसला अफजाई के लिए केस को इतना कमजोर बनाया जाता है कि ज्यादातर लोग उस जुर्म से कानून को ठेंगा दिखाकर निकल जाते है फिर राजनैतिक लोग उनको अपना संरक्षण देते है उनकी अच्छी आओ भगत करके उनको पुरुस्कृत भी कराते है जिससे आजकल यह ट्रेंड में आ गया है कि किसी विशेष सम्प्रदाय के व्यक्ति को मारकर राजनैतिक कैरियर के साथ साथ धर्म के ठेकेदारों के भी आंखों के तारे बन जाते है, फिर कुछ राजनैतिक लोग उस पर टीवी डिबेट करके उनका बचाओ करते है या फिर मरने वाले को ही उसका दोषी करार देते है जिससे उस राजनैतिक दल को इसका फायदा होता है जिसको वो पार्षद के चुनाव से लेकर लोकसभा के चुनाव तक भुनाती है और नफरत के सहारे देश के विभिन्न राजनैतिक पद को पा लेते है और इस आग को ठंडा भी नही होने देते है जिसको वो एक अंतराल में करते रहते है और उन मुद्दों का राजनैतिकरण करके फायदा उठाते है जो आजकल राजनीति में आम हो गया है, जिस प्रकार से एक धर्म विशेष के लोगो को मारा जा रहा है वो हमारे भारत को अन्दर ही अन्दर बहुत खोखला कर रहा है जिसके ज्यादातर राजनेताओं के साथ साथ जनता के लोग भी ज़िम्मेदार है जो बिना कुछ सोचे समझे किसी को भी मार देने का कृत्य कर देते है बाद में वो पछताते ज़रूर है लेकिन जब वो अंतरात्मा से पछताते है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और उनके किए काम की मलाई कोई दूसरा मास्टरमाइंड खाकर पचा चुका होता है, जिससे उस काम के करने वाले को मिलता है कुछ अदालतों के चक्कर, पछतावा और अंतरात्मा से दुःख जिसको वो बहुत माफ करने की कोशिश करता है लेकिन वो खुद को माफ नही कर पाता है और इस दुनियां से यह बोझ लेकर चला जाता है,
इस देश मे हमेशा सभी धर्मों, जातियों, का सम्मान करना सिखाया जाता है लेकिन बदलते हालात देश को बर्बाद करने के लिए कमर कस रहे है जिसके ज़िम्मेदार धर्म के ठेकेदार, राजनेता और वो भोले भाले लोग है जो इस षड्यंत्र को नही समझ पा रहे है।

#अकरम_हुसैन_क़ादरी