शुक्रवार, 23 मार्च 2018
क़ुरान का इंसान बने- अल्लामा क़मरूज़ज़्मा आज़मी
शनिवार, 3 मार्च 2018
सीरिया से पहले 1922 याद करो- अकरम हुसैन क़ादरी
सीरिया से पहले 1922 याद करो- अकरम हुसैन क़ादरी
इंसानियत, इंसान के दिल मे खिलने वाला सबसे आला तरीन खुशनुमा फूल है, लेकिन क्या वजह है आज हम खूब सीरिया पर आंसू बहा रहे है, बहाना भी चाहिए लेकिन हमें उस मंज़र को भी याद रखना चाहिए जिससे इस खूंखार दौर की शुरुआत होती है, जब तुर्को को कुछ अलग विचारधारा के लोगो ने हरम शरीफ जैसी मुक़द्दस जगह पर तुर्को को क़त्ल कर दिया लेकिन तुर्को ने हुज़ूर सल्लाहो अलैहे वस्सलम की वफादारी और इस्लामी इंसानियत के वजह से पूरी हरम शरीफ में तलवार नही चलाई क्योंकि वो जानते थे यह पाक जगह है इसको खून से लाल नही करना चाहिए लेकिन तथाकथित फ़र्ज़ी किंग डाकू सऊद और शहादत हुसैन जैसे ईमानी चोरों के कुत्तो ने हरम शरीफ में ही तुर्को का क़त्ल करके गारत कर दिया, यू तो दर्द हमे फ़िलिस्तीन, लेबनॉन, इराक़, अफगानिस्तान, चेचन्या, जैसे मुल्कों का बहुत है, लेकिन कभी भी हमने 1922 की तारीख का मुताला क्यो नही किया जिसको हमे करना चाहिए जिस तरह से कुछ लोगो ने मिलकर 1922 बाद अरब ( जिसको पहले हिजाज़ कहते थे) उसको लूटा आज भी उनकी औलादे लगातार मुस्लिम कन्ट्रीज को इन सऊदी के कुत्तो के साथ मिलकर लूट रही है आखिर क्या वजह है जब बर्मा में मुसलमानों पर हमले होते है तो तुर्क की सेना जाती है लेकिन जब फ़िलिस्तीन पर हमले होते है तो पड़ोस में सऊद अरब के कान में जूं भी नही रेंगती है आखिर वजह क्या है इसको हमको जानना चाहिए अगर अरब चाहता तो आज जिस तरीके से हमारे सामने जो परेशानियां दरपेश आ रही है वो बहुत हद तक नही आती
खून का व्यापार बड़ा ही है जिस तरह से पेट्रोल, डीज़ल का कारोबार सऊदी के चंद कुत्तो, अमेरिका के दुश्मनों और बिट्रेन के दलालो ने मिलकर लूटा है ....हमारी संवेदनाएं, दिल अज़ारी आज भी सीरिया के लोगो के साथ है एक इंसानी दिल होने के नाते लेकिन हमें अपने पुराने वक़्त को याद रखना चाहिए, जो कुछ फ़र्ज़ी विचारधाराएं पनप रही है चले उनको मुँह तोड़ जवाब देना चाहिए जो इस्लामी ड्रेस में ही हम सबको बरगलाती है, नए नए नोजवानों की जवानी लुटती है दरअसल यह सब ग़ुलाम कौम से पैदा हुए उनके कुत्ते ही है ......लौरेंस ऑफ अरबिया को पढो....इनकी तारीख को पढो सब मालूम हो जाएगा......
जय हिंद
#अकरम हुसैन क़ादरी