गुरुवार, 18 मई 2023

सर्पदंश होने पर झाड़, फूंक नहीं इंजेक्शन अपनाए- अकरम क़ादरी

सर्पदंश होने पर झाड़, फूंक नहीं इंजेक्शन अपनाए - अकरम क़ादरी

बरसात का महीना चल रहा है,एसे में सांप, बिच्छू का खतरा बना रहता है।खेतो की मेड़ पर ही विषेले जीव होते है ज़्यादातर ऐसे जहरीले जीव पानी से बचने की वजह से सूखे जगह पर ही रहते है, इसलिए पहले तो ध्यान से जाए, अगर कोई सांप बग़ैरा काट ले तो कभी भी किसी बाबा, वैद्य, हरे, नीले, पीले, काले, सफेद, और भगवा कुर्ते वालो से बचे और सीधा सरकारी जिला अस्पताल की तरफ जाएं। चौमास के दौरान सरकारी अस्पताल में एंटी डोज उपलब्ध होती है।अगर फिर भी किसी वजह से वहां पर "एन्टीवेनम" इंजेक्शन नहीं है तो किसी प्राइवेट हॉस्पिटल को जाए और अपना प्रॉपर इलाज कराए।इलाज लंबा और खर्चीला हो सकता है परन्तु सरकारी अस्पताल में यह पूर्णतः मुफ्त है।सही इलाज करवाने से  आपकी ज़िंदगी बच सके और आपका परिवार भी सुरक्षित हंसता खेलता रहें। 
बहुत से हमारे मित्र कहेंगे मिसाल के साथ कि फलां तारीख को फलां इंसान को ढिंका बाबा ने मन्त्र से ठीक कर दिया था, दोस्तों यह कोरी अफवाह है इससे कुछ नहीं होता है दरअसल जिस सांप ने काटा होता है वो ज़हरीला नहीं होता है और थोड़ी बहुत सूजन आ जाती है। लेकिन जिस भी बाबा या वैद्य के पास ऐसे मरीज़ को लेकर जाओ तो वो बताता है कि इसको किंग कोबरा ने ही काटा है जबकि किंग कोबरा जंगलो, पहाड़ो या फिर साउथ इण्डिया में पाया जाता है। हां कोबरा ज़रूर खेतो, घरों में होता है फिर यह बाबा क्यों इतना अधकचरा ज्ञान बांटते है क्योंकि उनको अपनी दक्षिणा और अपने पुरखों के नाम पर डकैती करना है। वो केवल आपको लूटते है और अपनी जीविका चलाते है। घरों में ज़्यादातर वही सांप पाए जाते है जो "नॉनवेनम" होते है बस एक सांप ज़्यादा घर, मकान में मिलता है वो है कॉमन करैत जिसको गांव में हिरूआ,  धामन या फिर दूसरे इलाक़ाई नामो से जाना जाता है। उत्तर भारत में सांप की सभी प्रजातियों में केवल तीन प्रजातियां ही विषेली होती हैं।इनमें कोबरा, करेंत, रसेल वाइपर है।  इसलिए जब भी कभी आपको कोई सांप काटे तो पहले काटी हुई जगह को पानी से धोएं और उसपर किसी चीज का लेप या चीरा बिल्कुल भी न लगाए।सबसे पहले शांत रहें और घबराए नहीं क्योंकि घबराहट से हृदय गति तेज हो जाती है और ज़हर तेजी से फैलने लगता है। बिना घबराए शांत  रहें और काटी जाने वाली जगह या उसके आसपास जगह पर किसी भी चीज को न बांधे।यदि संभव हो तो गर्म पट्टी को काटे गए स्थान से ऊपर नीचे से ऊपर की ओर लपेटे ,ठीक वैसे ही जैसे किसी डंडे या दूसरी वस्तु को कपड़े या रस्सी से ढका जाता है।लेकिन इसे कसकर बिल्कुल भी ना बांधे।ध्यान रहे कि संभव हो तो पैदल न चले और यदि बैल्ट या नाड़े वाला कोई वस्त्र पहने हो तो उसे ढीला कर दे और जल्दी से सीधे हॉस्पिटल जाएं ।सर्पदंश का इलाज संभव है और यह आपके आसपास प्राथमिक स्वास्थ केंद्र अथवा जिला अस्पताल में आसानी से उपलब्ध होता है। बाबा, ओझा, वैद्य से झाड़, फूंक ना कराए।यह बिल्कुल अंधविश्वास है । हिंदुस्तान में ऐसी मौतों की संख्या ज़्यादा है जो सांप के कटने से होती है परन्तु उसका मुख्य कारण अंधविश्वास ही होता है।  भारत में सर्पदंश से मरने वाले लोग अधिकांशतः अंधविश्वास और सही इलाज के अभाव में मरते है। लोग अस्पताल जाने के बजाय बाबा और दूसरे ढोगियो के चक्कर में फंसकर जान और माल का नुक़सान करते है। यकीन रखे कि कोई भी सर्प काटे उसका इलाज आपके पास सरकारी अस्पताल और जिला अस्पताल में मौजूद है।भारत सरकार भी जनता को इससे अवगत कराते हुए जागरूक का प्रोग्राम चलाए जिससे किसान, मज़दूर का जीवन बच सके और वो अच्छा जीवन व्यतीत कर सके। वर्तमान समय मे सरकार सर्पदंश से मरने वालों को काफी पैसा भी देती है।