वर्षों पुरानी परम्परा, सभ्यता और संस्कृति रही है जिससे लोग एक देश से दूसरे देश में आते जाते रहे है लेकिन पिछले वर्षों की घटनाओं ने झकझोर के रख दिया है पहले ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों को नस्ल और रंग भेद के कारण मारा गया , उसके बाद अब अमेरिका में राष्ट्रवाद, रोजगार के नाम पर भारतीयों पर हमले होते रहे है जबकि अमेरिका में ज्यादातर भारतीय अच्छे पदों पर भी है फिर भी उन पर हमले होते है,
इन सभी घटनाओं के रिएक्शन में भी अब भारत में भी ऐसी घटनाएं होने लगी है जबकि हम यहाँ पहले से ही जाति, धर्म के नाम पर मानसिक और शारीरिक लड़ाई लड़ रहे है ।
हमारे महान देश में मेहमान को भगवान् की संज्ञा दी जाती है और पहले हमारे घरों के बाहर भी लिखा होता था “अतिथि देवो भवः” ना जाने कहाँ हमारी संस्कृति, सभ्यता मर रही है फिर भी राजनेता संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रवाद की फ़र्ज़ी डिबेट करके देश की सत्ता पर पहुँच रही है। सहिष्णुता निम्न स्तर पर पहुँच गयी है।
नाइजीरियन मूल के लोगो पर हमला हमारे रिवर्स राष्ट्रवाद और संस्कृति का ही हिस्सा है जिससे कुछ सिरफिरे लोगो ने उन पर अत्याचार किया है जबकि कुछ मनचले और गन्दी मानसिकता के लोग उनको हब्सी, चिंकी, भूत जैसे नामो से पुकारते है जो कि हमारे देश की सभ्यता के खिलाफ है जबकि इस देश ने मंगोल, हूण, आर्यन को जगह दिया है क्योंकि हमारा ह्रदय बसुधैव कुटुम्बकम से भरा हुआ था अब तो केवल किताबो और कुछ सभ्य भारतीयों तक ही रह गया है ।
नाइजीरियन मूल के लोगो पर हमला, उनकी संस्कृति, पहनावा और खान पान को लेकर हुआ है जोकि सभ्य राष्ट्र के लिए बेहद खतरनाक है जबकि इस देश में अब भी अमेरिकी, तिब्बती, जापानीज और यहूदी रहते है चाहे वो व्यापार के नाम पर हो या फिर शिक्षा लेने आने के नाम पर। अगर हमें अपने देश की सभ्यता, संस्कृति को बचाना है तो बसुधैव, कुटुंकम्ब की परिभाषा को यथार्थ करके मानवता के ही नाम पर सही उनको अपने महान, न्यायप्रिय होने का सबूत देना चाहिए और ऐसे लोगो के खिलाफ सरकार कड़ी से कड़ी कार्यवाही करे जिससे दूसरे देशों की तरह हमे कलंकित ना होना पड़े जिस प्रकार हमारे देश के लोग विदेशों में रहते है उसी प्रकार हमे भी अपने देश में दूसरे देशों के लोगो का सम्मान करना होगा ……..और देश को महान बनाना होगा
अकरम हुसैन क़ादरी