शनिवार, 26 जनवरी 2019

तिरंगे की बेइज़्ज़ती करने वाले तिरंगा यात्रा का ढोंग ना करे- अकरम क़ादरी

एक वो है जो झण्डा बनाता है...
दूसरा वो है जो झण्डा फहराता है....
तीसरा वो है जो झण्डे से तिरंगा यात्रा के नाम पर खेलता है.....
उसको ही पहचानना ज़रूरी है....
फिर वो दाबे करता है कि वो देशभक्त है जबकि वो देशभक्त नही  बल्कि दंगाई है, दिमाग़ी गंदगी भरे हुए है जिसका उदाहरण हमें कठुआ में एक बलात्कारी के लिए निकाली तिरंगा यात्रा, और कासगंज में तिरंगा यात्रा के नाम पर मुस्लिम बस्तियों में जाकर गाली गलौज, उसके बाद एक युवक की मौत.....तो भाइयो, बहनों और मोदी जी के फ़र्ज़ी मित्रों तिरंगा यात्रा निकालने से पहले उसका इतिहास भी समझो क्योंकि कभी भी तुम्हारे बाप-दादा ने तिरंगे के बारे में तो जाना नही बल्कि उसको कई बार जलाया है पिछले दिनों मुरादाबाद के एक बीजेपी पार्षद ने तिरंगे को पैरो से कुचला था जिसकी फोटोज बहुत वायरल हुई थी, दूसरी बात तुम जिस तिरंगे की बात कर रहे हो उसका सम्मान करना ही है तो नागपुर और झंडेवालान के कार्यालय पर लहरा के देखो तो हमें भी यकीन होगा तुम देशभक्त हो वरना दोगले तो 1857 से ही हो, दूसरा कारण यह भी है संघ के जो बड़े-बड़े तथाकथित प्रचारक हुए है उन्होंने कभी भारतीय झण्डे को अपना ध्वज माना ही नही है.....फ़र्ज़ी राजनीति करने से अच्छा है थोड़ा पढ़ भी लेते.......जो कुछ तुम बोल पाते और लिख पाते......जो चैनल यह फ़र्ज़ी डिबेट चला रहे है उनमें छी न्यूज़ के सुभाष चंद्रा जी निवेशकों से पत्र लिखकर माफी मांग चुके है दूसरे चैनलों का भी नम्बर आने वाला....देश की जनता 2019 में जी रही है वो तुम्हारे 5 साल का रिपोर्ट कार्ड भी हाथ मे रखे बैठी है और तुम्हारी फ़र्ज़ी तिरंगा यात्रा भी समझती है और तुम्हारे दिमागो में भरे गुबार भी जल्दी ही वो इसका जवाब दे देगी बस तुम EVM सही रखना.....
जय हिंद

#समी_क़ादरी

सोमवार, 21 जनवरी 2019

यूनिट्री फाउंडेशन के सोहैल यूनिटी कर रहे है एएमयू का नाम रौशन- अकरम क़ादरी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एक ऐसा साबिक तालिब-ए-इल्म जो यारो का यार है जिसके अंदर सियासत के साथ-साथ कौम और मिल्लत की मदद करने का जज़्बा कभी कम नही हुआ जिसका सही नाम तो सोहैल अबरार है लेकिन लोगो को जोड़कर, मोहब्बत, हंसी-खुशी और प्यार से एक रखने की वजह से लोग उसको सोहैल यूनिटी के नाम से ज्यादा जानते है जिससे मेरी भी कई नाइत्तेफाकिया रही, लेकिन उसने कभी दोस्ती यारी से मुँह नही मोड़ा हमेशा मजबूती से साथ खड़ा रहा, एएमयू से सेक्रेटरी का चुनाव लड़ना चाहा लेकिन कुछ मजबूरियों की वजह से उसका यह सपना पूरा नही हुआ, लेकिन उसको तो इदारे की मोहब्बत और अलीगढ़ की फ़िक़्र कौम और मिल्लत की फ़लाह के लिए काम करना था तो उसने बगैर किसी ओहदे के अपने ही शहर में ग़रीबों और मज़लूमो की मदद करना शुरू कर दिया, जब उसको ख़्याल आया यह काम वो ओर भी अच्छे से कर सकता है तो कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उसने #यूनिट्री_फाउंडेशन के नाम से एक NGO बनाई जिसमे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के साबिक तालिब-ए-इल्म और कुछ मौजूदा एएमयू दोस्तो, हमदर्दों को लेकर गांव देहात में घूम-घूम कर गरीब बच्चों के एएमयू में फॉर्म अप्लाई कराये जिससे ज़्यादा से ज़्यादा गरीब लोगो के बच्चे अलीगढ़, जामिया और दूसरी यूनिवर्सिटीज में पहुंच सके, कुछ सालो से वो समाजवादी पार्टी के झण्डे के नीचे रहकर भी सियासी काम कर रहा है जिससे कौम को उसका फ़ायदा भी नज़र आ रहा है....सोहैल यूनिटी हमेशा किसी भी फालतू काम मे ना पढ़कर बल्कि ऐसा काम करता है जिससे सबका फायदा हो और किसी का भी नुकसान ना हो .....मुझे फ़क्र है कि मैं एक ऐसे हमदर्द, हँसमुख का दोस्त हूँ....... एएमयू के तलबा को आप पर फ़क्र है जो आप बगैर किसी ओहदे के एएमयू में गरीब बच्चों को भेज रहे हो और ज़रूरत पड़ने पर उनकी फीस भी दे रहे हो
#शुक्रिया_यूनिटी

अकरम क़ादरी

रविवार, 13 जनवरी 2019

हेमराज वर्मा ही दे सकते है, मेनका गांधी को टक्कर- अकरम क़ादरी

हेमराज वर्मा ही दे सकते है मेनका गांधी को टक्कर- अकरम क़ादरी

चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होते ही हर जिले में पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशी को टटोलना शुरू कर दिया है, फिर उसमें जातिगत मैथमेटिक्स हो या फिर धर्मगत आंकड़ा जो भी प्रत्याशी इन आकड़ो में मजबूत नज़र आएगा पार्टी उसको ही अपना प्रत्याशी चुनेंगी।
जबसे सपा-बसपा का गठबन्धन हुआ है तब से जिला पीलीभीत के राजनीतिक हलकों में चहल-पहल शुरू हो चुकी है क्योंकि जिला पीलीभीत में ही भाजपा की कद्दावर नेता कैबिनेट मिनिस्टर लगभग पैंतीस वर्षो से एक छत राज करने वाली श्रीमती मेनका संजय गांधी को अब तक कोई भी पार्टी हरा नही पाई है जबकि मेनका गांधी जी की जीत की शुरुआत ही 2 लाख से ऊपर से होती है जोकि पिछले चुनावों के परिणामों से ही पता चलता है।
इस बार भाजपा कार्यकाल में हुए झूठे वादे, और जिले को कुपोषण में प्रथम स्थान पर रहने से और दो क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन से मेनका गांधी जी को चुनाव में काफी मुश्किल हो सकती है अगर पीलीभीत जनपद की गंठबंधन वाली सीट अगर सपा के खाते में पहुंचती है तो पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा ही सबसे अच्छे कैंडिडेट होंगे क्योंकि जिले के कद्दावर नेता हाजी रियाज़ भी सांसद का चुनाव लड़ चुके है जिनको उम्मीद से काफी कम वोट मिले थे, दूसरी तरफ बुद्धसेन वर्मा और भगवत शरण गंगवार की भी दावेदारी नज़र आ रही है लेकिन जातिगत, धर्मगत और साफ छवि, ईमानदार, कर्मठ प्रत्याशी के रूप में हेमराज वर्मा को ही टिकट मिलता है तो दिल्ली की संसद में यह सीट पक्की हो सकती है हेमराज वर्मा एक ऐसे प्रत्याशी है जिनके प्रति युवाओं में काफी जोश है वो हर धर्म, मज़हब, जाति और पिछले दिनों बाघों से मरे हुए लोगो के घर लगातार सांत्वना देने पहुंच रहे है और किसी भी परेशानी के समय जिला पीलीभीत के किसी भी व्यक्ति को अपने स्तर से हर प्रकार की मदद भी कर रहे है जिससे उनसे जिले के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक का विश्वास लगातार बढ़ रहा है दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के युवा पूर्व मुख्यमंत्री भी अखिलेश यादव अपनी पीढ़ी के नेताओ पर ज्यादा विश्वास रखते है जिस प्रकार से उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री रहते हुए युवाओं को ज्यादा मौका दिया जिससे उनकी सोच साफ झलकती है कि वो कि युवा जोश और पुराना अनुभव मिलकर अगर काम करेगा तो निश्चित ही पार्टी का जनाधार बढ़ेगा जिससे आने वाले वक्त में अखिलेश यादव प्रधानमंत्री के भी उम्मीदवार हो सकते है.....
हेमराज वर्मा ही पीलीभीत जिले के एक मात्र ऐसे नेता है जो किसी भी पार्टी कार्यकर्ता या फिर एक आम आदमी की कॉल पर तुरंत काम करते है और उसका हरसंभव साथ देने का प्रयत्न करते है, हेमराज वर्मा मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी है अगर समाजवादी पार्टी गठबंधन से हेमराज वर्मा को अपना टिकट देती तो लोधी समाज, दलित समाज, वैश्य समाज, कुर्मी समाज के अलावा ब्राह्मण समाज का भी समर्थन हासिल हो सकता है जबकि अल्पसंख्यक समाज मे मुस्लिम, ईसाई और पंजाबी अधिकतर हेमराज वर्मा को ही वोट करेगा
जय हिंद जय भारत
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अकरम हुसैन क़ादरी
पॉलिटिकल एनालिस्ट