शुक्रवार, 14 जून 2019

आला हज़रत अपने वक़्त के इमाम अबू हनीफ़ा थे- अनीस शीराज़ी

यौमे रज़ा मुबारक

आला हज़रत,बड़े हज़रत,बड़े मौलाना साहिब,इमाम अहमद रज़ा के नामो से पहचाने जाने वाली शक्सियत मौलाना अहमद रज़ा खान'फाजिले बरेलवी' है। 10 शब्बाल 1272 हिजरी यानि 14 जून 1856 को उत्तर भारत  के रुहेलखंड इलाके के बरेली शहर में पैदा हुए। आपकी जात बहुत सारी खूबियों की मालिक थी। आपकी जात भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे मशहूर शक्सियत में से एक है। शायद ही कोई जगह ऐसी हो जहाँ उर्दू हिंदी बोलने वाले मुसलमान आबाद हो और आपका जिक्र न हो। भारतीय उप महाद्वीप के मुसलमानों की बहुसंख्या को आपके नाम की ही निस्बत से बरेलवी कहा जाता है। एक बात जो सिर्फ आपकी ही जात को हासिल है कि 200 साल में किसी भी आलिम ए दीन की हयात और खिदमात पर इतनी किताबे नहीं लिखी गई जितनी किताबें आपकी जिंदगी पर लिखी गई। जिनकी तादाद तक़रीबन 528 से ज्यादा है। जो अरबी,फ़ारसी, हिंदी,उर्दू,अंग्रेजी,डच,पंजाबी,पश्तो,बलूची,कन्नड़,तेलगू,सिंधी,बंगला,मलयालम आदि भाषाओं में है। इसके अलावा एक बात और जो काफी दिलचस्प है ये है कि आपके मुखालिफ फ़िक्र के लोगो ने आपको कम इल्म,जाहिल,बिदतियो का सरदार कहा लेकिन सच्चाई इसके उलट ही है। दुनिया के कमोबेश 15 से ज्यादा विश्वविधायलो जिनमे अमेरिका,मिस्र,सूडान,भारत,पाकितान,बांग्लादेश,इराक से आपकी जात पर पीएचडी और एमफिल की 35 से ज्यादा डिग्रियां मुकम्मल हो चुकी है। 56 से ज्यादा विषयो पर 1000 से ज्यादा किताबे आपने लिखी।आपने क़ुरान ए पाक का उर्दू में तर्जुमा कंजुल ईमान के नाम से किया। जो प्रकाशन संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा छपता है। उर्दू,अरबी,फ़ारसी में नाते पाक,दुआए और मशहूर जमाना सलाम मुस्तफा जाने रहमत पर लाखों सलाम आपके क़लम की देन हैं। ना कभी किसी नवाब,जमीदार की तारीफों के पुल बांधे ना कभी सियासी दरबारों में हाज़री लगाई। दुनिया के शाहों से बे नियाजी का आलम ये था कि खिलाफत आंदोलन के दौरान मौलाना मुहम्मद अली जौहर ने जरिये गांधी जी ने मुलाकात करनी चाही। मगर मना कर दिया। क्योंकि वो तो आशिके रसूल थे। सच्चे सूफी थे। कभी हुकूमत की परवाह ही नहीं की। आपका इल्मी दबदबा इतना था कि उस वक़्त के क़ाज़ी ए मक्का,मुफ़्ती ए मक्का,इमाम इ हरम,मुफ़्ती ए मदीना,क़ाज़ी ए मदीना,उलेमा ए सीरिया,इराक,मिस्र आपकी तारीफ करते थे। आपकी शख्शियत की सबसे नुमाया बात आपकी हक़ गोई थी। शायद यही वजह थी कि शायर मशरिक डॉक्टर इक़बाल ने आला हज़रत के बारे में कहा था कि मौलाना साहिब अपने वक़्त के इमाम अबु हनीफा थे। ऐसी अनमोल शख्शियत आला हज़रत फाजिले बरेलवी की यौमे पैदाइश पर तमाम अहले अक़ीदत को मुबारक हो।

बड़े भाई मेरे अजीज़ हमदर्द

अनीस शीराज़ी भाई
स्वत्रंत लेखक