बुधवार, 30 अगस्त 2017

हिंदी विभाग एएमयू में शोध परिषद का गठन

 हिंदी विभाग एएमयू में शोध परिषद का गठन

आज कला संकाय के  हिंदी विभाग में शोध परिषद सत्र 2017-18 के लिए नवनियुक्त पदाधिकारियों का चयन किया गया जिसमें सचिव पद पर दीबा नियाज़ी  सह सचिव अम्बरीन आफ़ताब, विकास कुमार, कोषाध्यक्ष नीरज शर्मा, तरन्नुम सिद्दीक़ी तथा मीडिया प्रभारी का दायित्व मनीष कुमार और अमान अहमद को दिया गया
वास्तव में इसका श्रेय विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अब्दुल अलीम साहब की कर्तव्यपरायणता, दूरदर्शिता और विभाग को उत्तरोत्तर समृद्दि की ओर जाने का पक्का संकल्प दिखता है जिसके लिए विभागाध्यक्ष ने अपने कार्यकाल के आरंभ में भी इसके संकेत दे दिए थे।
शोध समिति के प्रभारी प्रोफेसर मेराज अहमद ने पिछले सत्र में अनेक प्रोग्राम कराए थे जिससे विभाग का नाम उत्तर भारत से दक्षिण, पूरब और पश्चिम भारत के विभिन्न विश्विद्यालयो में छाया रहा था उन्होंने इस प्रोग्राम की ऑडियो या वीडियो की भी पूर्व मीडिया प्रभारी से इच्छा जाहिर की
दरअसल प्रोफेसर मेराज अहमद ने प्रोग्रामो के ऐसे विषय रखे थे जो शोध के क्षेत्र में बहुत ही ज़रूरी और उल्लेखनीय थे जिससे शोधार्थियों, हिंदी प्रेमियों और हिंदी में तनिक रुचि रखने वालों को भी अपनी ओर आकर्षित किया
मैं नवनियुक्त पदाधिकारियों से उम्मीद करता हुँ कि वो भी विभाग की इस विशाल परम्परा को बनाये रखेंगे और प्रोफेसर अब्दुल अलीम सर और शोध प्रभारी प्रोफ़ेसर मेराज अहमद सर के सपनो को पूर्ण करेंगे और यूनिवर्सिटी, विभाग का नाम पूरे विश्व मे रोशन करेंगे ......
व्यक्तिगत तौर पर सभी पदाधिकारियों को दोबारा शुभकामनाये
अकरम हुसैन क़ादरी
पूर्व मीडिया प्रभारी
हिंदी विभाग
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
अलीगढ़

सोमवार, 28 अगस्त 2017

एम एस ओ ने किया छात्रों का स्वागत गठित की नई कमेटी

एमएसओ ने किया छात्रों का स्वागत गठित की नई कमेटी
आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आफ़ताब हॉल के कॉमन रूम में मुस्लिम स्टूडेंट आर्गेनाईजेशन के ज़ेरे एहतमाम स्टूडेंट फ्रेशर मीट का इंतेखाब किया गया जिसमे मौलाना नोमान अज़हरी साहब ने स्टूडेंट के ज़हन में नई सोच और नए ज़माने के लिहाज से बहुत ही लाजवाब तकरीर की और स्टूडेंट्स को नए नए फ़ितनों से बचने की हिदायत दी उसके बाद डॉ. अहमद मुज्तबा साहब ने बहुत ही ज़बरदस्त अंदाज़ में MSO के कारनामो का बखान करते हुए दुनियाँ और देश को सूफिज्म की ज़रूरत बताया बता दे कि मुस्लिम स्टूडेंट आर्गेनाईजेशन एक गैर सियासी तंज़ीम है जो देश की छात्र छात्राओं में सूफिज्म, हुब्बल वतनी, शांति और देशहित में काम करने वाली तंज़ीम है जो देश दुनियाँ में हो रही तमाम आतंकवादी घटनाओं की निंदा करती है और ऐसी सोच रखने वाले लोगो का खुलकर विरोध करती है जिसका मतलब है छात्र छात्राओं को देश दुनियां की सेवा के साथ साथ मानवता को भी जिंदा रखे जिससे समाज की सही मायनों में सेवा हो सके ऐसी तंज़ीम की आज दुनियाँ को ज़रूरत है जो केवल मानवता की सेवा के लिए ही बनी है,
इसी सिलसिले में आज MSO AMU यूनिट की टीम का भी इंतेखाब किया गया जिसमे मौलाना जावेद मिस्बाही साहब को सदर की ज़िम्मेदारी दी गयी और उनके साथ नायब सदर मोहम्मद कैफ साहब और मोहतिम ए ऐजाज़ी से  अनस साहब को नवाज़ा गया ....... उसके बाद अपने MSO रिसर्च स्कॉलर की तरफ से अपने भाइयो के लिए रिफ्रेशमेंट का भी इंतेज़ाम किया गया प्रोग्राम का संचालन हाफ़िज़ शाहिद ख़ान मिस्बाही साहब ने किया 

#अकरम हुसैन क़ादरी

रविवार, 13 अगस्त 2017

वीडियोग्राफी और मुस्लिम राष्ट्रभक्ति का टेम्परेचर

पिछले तीन चार साल से किसी भी राष्ट्रीय त्योहार पर बार बार बीजेपी सरकार यह क्यो निर्देश जारी करती है कि मदरसों में यह होना चाहिए, वो होना चाहिए दरअसल यह देश के मुसलमानों की देशभक्ति का टेम्परेचर नापना चाहते है और कुछ बेवकूफ अल्पसंख्यक इसको उनको दिखाबे के तौर पर सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और वीडियो बनाकर पोस्ट करते रहते है जोकि सबसे खतरनाक है आखिर मुस्लिम ही क्यो अपनी देशभक्ति साबित करे जबकि आरएसएस ने तो 52 साल के बाद राष्ट्रीय ध्वज को अपने नागपुर कार्यालय में फहराया है और देश की आज़ादी में भी इस संगठन का कोई योगदान नही है बल्कि इन्होंने ही अंग्रेज़ो के सामने अपने माफीनामे दिए है और देश के क्रांतिकारी नौजवानों को फाँसी के लिए अनेक बार झूठी गवाही भी दी है
जिस धर्म के आलिमो ने धार्मिक मान्यताओं के कारण सबसे पहले देश की आज़ादी के लिए फतवा दिया था 1857 में सबसे पहले मुस्लिमो ने ही आज़ादी के लिए बिगुल बजाया था
वो चाहे बहादुर शाह ज़फ़र हो या फिर कुछ दशकों पहले गुज़रे वीर अब्दुल हमीद ही क्यो ना हो।
आजकल कुछ फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी सरकारों ने उनपर तोहमदे लगाना शुरू कर दिया है और उससे ज्यादा मज़ाक की बात यह है कि मुस्लिम लोग भी अपनी देशभक्ति को दिखा रहे है जबकि हुब्बल वतनी दिखाने के लिए नही है बल्कि दिल से मानने का नाम है जबकि मुस्लिम इस देश के लिए हमेशा से वफादार थे और रहेंगे।
देश के अल्पसंख्यकों से अपील करता हुँ कि वो राष्ट्रगान भी गाये, झण्डा भी फहराए लेकिन इन फ़र्ज़ी राष्ट्रवादियों के लिए ना ही वीडियो बनाये और ना ही अपने सोशल मीडिया पर उसको वायरल करे क्योंकि उनको अपनी देशभक्ति दिखाने की ज़रूरत नही है । देशभक्ति दिखाने की ज़रूरत उनको है जो आज़ादी से लेकर आजतक देश को लूट रहे है साम्प्रदायिकता को फैला रहे है, देश मे मानसिक साम्प्रदायिकता चरम पर है मानवता बहुत हद तक खत्म होती जा रही है जिसको बचाना आज प्रत्येक देशवासी का काम है

जय हिन्द, जय भारत
हिंदुस्तान ज़िंदाबाद
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान

#समी_क़ादरी

मंगलवार, 1 अगस्त 2017

सर सय्यद के ख्वाबो को पूरा करता AMU ओल्ड बॉय - मोहम्मद इब्राहीम

सर सय्यद के मिशन को पूरा करता ओल्ड बॉय - मोहम्मद इब्राहीम

यूँ तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का कोई भी ऐसा पुराना स्टूडेंट नही होगा जो बरेली शरीफ के मोहम्मद इब्राहीम को ना जानता हो जो अनेक कारणों से हमेशा कैंपस और कैंपस के बाहर सुर्खियों में रहे ।
  कुछ समय पहले वालिद साहब के इंतेक़ाल के बाद मोहम्मद इब्राहीम भाई ने बरेली शरीफ के कस्बा रिछा में सर सय्यद के मिशन को आगे बढ़ाया जिसको उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी रहते हुए अनेक अनगिनत अच्छे काम किये शायद उनको गिनवाना मुश्किल है फिर भी पिछले 1 या 2 साल से इब्राहीम ने अपने कस्बे में तालीम की शमा जला रखी है, उन्होंने सबसे पहले कस्बे में गरीब बच्चों के लिए एक सर सय्यद फाउंडेशन नाम से संस्था बनाई फिर उसमें गरीब, बेसहारा, मजदूरों के बच्चों को टॉफी, बिस्कुट, नमकीन और समोसे के सहारे अपने कस्बे के बन्द पढ़े मकान में छप्पर के नीचे पढ़ाना शुरू कर दिया जिसमें वो लोग पढ़ने आते थे जो विधवाओं, गरीबो ओर मज़लूमो के बच्चे है जिनको तालीम मिलना लगभग मुश्किल था उस मुश्किल से मुश्किल काम को इब्राहिम ने आसान करके काफी बच्चों को अलीगढ़ मुस्लिम जैसी यूनिवर्सिटी में दाखिला भी करा दिया और उनकी पढ़ाई के खर्च की भी ज़िम्मेदारी ली जिससे आज कस्बे के लड़के लड़कियां आगे बढ़ रहे है ।
  पिछले दिनों भारी बारिश होने के कारण कस्बे में ही एक विधवा के छप्पर को पक्का बनवा दिया जिसको ना ही मौजूदा चैयरमेन ने देखा ना ही किसी सांसद, और विधायक ने , इन सब कामो को करने का जज़्बा इब्राहिम के साथ चलने वालों का सहारा और उनकी अटूट हिम्मत से ही हुआ है।
एक या दो दिन पहले जब देश दुनियाँ में मार काट मची हुई है उस दुःख की घड़ी में भी मोहम्मद इब्राहीम ने कस्बे से निकल कर जाने वाले  भगवान भोलेनाथ के श्रद्धालुओ को नमकीन, पानी दवा, फल बांटे जिससे देश मे अमन, चैन सुख शांति कायम रहे ।
इब्राहीम का कहना है कोई धर्म अच्छा या बुरा नही होता है बुराई तो तब होती है जब कोई धर्म ठेकेदारो की चपेट में आ जाये ......

इब्राहिम भाई के कामो को देखकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र, छात्राएं बहुत खुश है जो हमेशा इब्राहीम का हौसला अफजाई करते रहते है जिससे उनको हमेशा आगे कुछ अच्छा करने की हिम्मत मिलती रहती है

#समी_क़ादरी