रविवार, 3 फ़रवरी 2019

किसानों की बेइज़्ज़ती कर रही है बीजेपी- सय्यद मसूद उल हसन

मैं भी एक किसान हूँ और मेरे कुछ सवाल हैं जुम्लेन्द्र सरकार द्वारा लाए गए हाल के बजट पर और किसानों को जो रोज़ की 16 रुपए 43 पैसे की भीख देने की योजना है उस पर:-
जो डीज़ल हमें 2014 तक 50 रुपए प्रति लीटर मिल जाता था 2014 के बाद 70 रूपये प्रति लीटर खरीद चुके हैं, जबकि कच्चे तेल की एक बैरल 50 डालर से भी कम हो गई थी।
जो यूरिया 150 रुपए मे 50 किलो मिलता था 2014 तक वो आज ही 340 रुपए का 45 किलो मिल पाया है, गेहूं की बुवाई मे लगने वाला डी0ए0पी 850 से 950 तक मिलता था 50 किलो 2014 तक, इस साल 1345 रुपए का 45 किलो  ही मिला है, ये तो हुई केन्द्र सरकार की किसानों पर मार अब आते हैं उत्तर प्रदेश पर ब्लॉक से गेहूं का बीज खरिदा 1 कुंटल  40 किलो दाम था 40 किलो के एक बैग का 1040 रुपए, ब्लाॅक वालो ने कहा सबसिडी मिलेगी 15 दिन में 60% मिली 2 महीने में 50% बीज की गुणवत्ता थर्ड क्लास सो अलग, अखिलेश यादव जी की पिछली सरकार ने आब पाशी फ्री कर दी थी ढोंगी बाबा ने फ़िर से पैसे वसूलने शुरू कर दिये हैं। गन्ने का पैसा जो हम किसानों को अखिलेश सरकार में एक से दो महीने में मिल जाता था अब उस पैसे को साल-साल भर गन्ना मिलें अपने बैंक खाते में जमा रख कर जो ब्याज कमा रही उस्से ढ़ोंगी बाबा के आॅफिस की चाय बन रही है? एक वादा किसानों से यह किया गया है बजट में की मोदी सरकार किसानों को 6000 रुपए सालाना भत्ता देगी तो सरकार ये जो 6000 हैं साल के वो दिन के 16 रुपए 43 पैसे तो इस्से ज़यादा की बिड़ी किसान भाई रोज़ पी जाते हैं तो यह भीख देने का क्या औचित्य है आप इस भीख को अपने पार्टी फंड में जमा कर लो और 16 रुपए रोज़ तो हम किसान आपको भी दे सकते हैं इतनी हैसियत तो हिन्दुस्तान के किसान रखते हैं, ये 16 रुपए 43 पैसे की भीख दे कर बग़ले बजाना बेहद दुखद है। इन सवालों का कोई जवाब हो तो बताना। जुम्लेन्द्र जी और ढ़ोंगी बाबा जी।
सय्यद मसूद उल हसन,
पूर्व उपाध्यक्ष,
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ।