गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

जिस पिता ने ज़िन्दगी दी, बेटे ने लीवर देकर अपना फ़र्ज़ निभाया - अकरम क़ादरी

जिस पिता ने ज़िन्दगी दी, बेटे ने लीवर देकर अपना फ़र्ज़ निभाया - अकरम क़ादरी
एक कहावत है- "बुरे वक्त पर ही अपने और गैरों का एहसास होता है" जो अपना होता है उसको कहने की ज़रूरत नहीं होती है और गैर से कोई कुछ कहता नहीं है। कुछ ऐसा ही हुआ है बेटे और वालिद के रिश्तों में-  रामपुर के हसनात अली खान अलीग ने पेश की मिसाल यह वो बेटा है जिसने अपने पिता को नया जीवन दिया है हालांकि यह ज़िन्दगी उन्हीं की दी हुई है। हसनात अली ख़ान ने अपना लीवर देकर इतना ही नहीं आजकल के बेटों के प्रति जागरुगता पैदा की है और मां-बाप की प्रति सेवा-भाव का उदाहरण भी पेश किया है। जबकि प्रोफेशनल लाइफ की वजह से संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है आजकल के रिश्तों में भावुकता नहीं है। जब हसनात को मालूम हुआ कि उनके पिता को लीवर की ज़रूरत है तो उन्होंने बड़ा दिल दिखाकर अपने पिता के लिए फ़र्ज़ अदा करने की एक छोटी से कोशिश की। पिता को भी अपने बेटे पर गर्व महसूस होता है।
रामपुर निवासी विज़ारत अली खान लम्बे समय से लीवर की बीमारी से पीड़ित थे सन 2015 में लीवर डैमिज होने के कारण डॉक्टर ने उन्हें जीवित रहने के लिए ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प बताया था, पिता को बचाने के लिए बेटा हसनात आगे आया उसने अपना 60 पर्सेंट लिवर पिता को मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम में को प्रत्यारोपित करा दिया उसके ट्रांसप्लांट को लगभग 6 साल पूर्ण होने के उपलब्ध में मेदांता हॉस्पिटल लीवर ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के डिरेक्टर पद्मश्री डॉक्टर ए. एस. सोनी ने बधाई देते हुए ट्वीट किया जिसकी बड़े-बड़े जर्नलिस्ट ने सराहना की तथा उस ट्वीट को कई जागरूक नागरिको ने रिट्वीट भी किया जिनमे मिस्टर राघव भल  फ़ाउंडर नेटवर्क 18 अथवा मिस्टर संजय पुगलिया प्रेसिडेंट एंड एडिटोरीयल डिरेक्टर दा क्विंट इण्डिया ने रिट्वीट कराकर हौंसला अफजाई करते हुए हर बेटे को ऐसा गौरवशाली काम करने का एहसास दिलाया आजकल लोग अपने माँ-बाप को चंद वजह से वृद्धाश्रम में छोड़कर चले आते है यह विदेशी अपसंस्कृति हमारे देश मे बहुत तेज़ी से पैर पसार रही है जिसको हसनात जैसे नोजवानो से सीख लेकर आजकल के बच्चों को अपने माँ-बाप की सेवा करना चाहिए। 
हसनात ने जब लीवर ट्रांसप्लांट कराया था जो साथ मे उनके हमदर्द, दोस्त, अजीजों अकारिब भी थे जिसमें फैज़ान शाहिद, अकरम क़ादरी ने उन्हें मुबारकबाद पेश की तथा खुद को गौरवान्वित महसूस किया और कहा कि ऐसे दोस्त पर हमें फक्र है।