रविवार, 4 फ़रवरी 2018

समलैंगिकता विषय पर वाङ्गमय पत्रिका का योगदान - अकरम हुसैन क़ादरी

आज वाङ्गमय पत्रिका के संबंध में वरिष्ठ आलोचक डॉ. वेद प्रकाश अमिताभ और प्रोफ़ेसर भरत सिंह जी से वाङ्गमय के नए अंक 'समलैंगिकता' पर चर्चा हुई जिसमें दोनों वरिष्ठ आलोचकों ने गहन विमर्श करते हुए कहा कि यह अंक समलैंगिकता जैसे उपेक्षित विषय पर मील का पत्थर साबित होगी और इस समय राजनैतिक रूप से भी इस विषय की काफी चर्चा है इसमें अनेक बुद्धिजीवी क़लम से लेकर सड़क तक दिखाई दे रहे है जो क़लम से लिखकर और सड़क पर लोगो को प्रोत्साहित कर रहे है जिससे एक ऐसे अपेक्षित समाज को साहित्य के साथ-साथ राजनैतिक रूप से स्थान मिल रहा है जो निश्चय ही मानवता की सेवा में एक अद्वितीय प्रयोग साबित होगा जिसके माध्यम से समाज के एक धड़े को इंसाफ मिलने की संभावनाएं बढ़ रही है मानवतावादी दृष्टिकोण के व्यक्ति भी इसमें बढ़ चढ़ के हिस्सा ले रहे है चाहे वो पत्रकार हो या फिर साहित्य की सेवा करने वाले रचनाकार, सभी वर्गों में इस विषय के प्रति रोचकता बढ़ रही है।
यदि ऐसे विषयो पर साहित्यकार, समाजसेवी, पत्रकार, राजनैतिक लोग रुचि लेने लगेंगे तो निश्चित ही समलैंगिकता जैसे विषयों पर खुलकर चर्चा होगी और जब चर्चा होने शुरू हो जाएगी तो इस समाज को न्याय मिलेगा जो समाज, देश और मानवता के लिए आवश्यक भी है, जिससे देश मे उन्नति की एक नई लहर उत्तपन्न होगी।
इस परिचर्चा में दो वरिष्ठ साहित्यकर्मियों के अलावा वाङ्गमय पत्रिका के संपादक और हलीम पी जी कॉलेज कानपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद फ़िरोज़ खान, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अब्दुल्ला वीमेंस कॉलेज की असिस्टेंस प्रोफ़ेसर और अनुसंधान पत्रिका की सम्पादक डॉ. शगुफ़्ता नियाज़ और डॉ. आलोक कुमार सिंह तथा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शोधार्थी मनीष कुमार गुप्ता और अकरम हुसैन क़ादरी भी मौजूद थे।

प्रस्तुति

अकरम हुसैन क़ादरी
शोधार्थी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
अलीगढ़