बुधवार, 4 मार्च 2015

भारत विभाजन का जिम्मेदार कौन..???

भारत विभाजन का ज़िम्मेदार कौन?
भारत विभाजन की घटना भारतीय इतिहास में एक काला धब्बा है|ये केवल राजनीतिक अथवा राष्ट्र की ट्रेज़डी नहीं थी बल्कि इंसानियत की भी त्रासदी है|आज़ादी के बाद विभाजन के कारणों पर मंथन किया रहा और लोग अपना दामन पाक-साफ बताकर जिन्ना और मुस्लिम लीग को ज़िम्मेदार मानते रहे|हिन्दू महासभा और आरएसएस तो इसकी ज़िम्मेदारी महात्मा गांधी और नेहरू पर डालती रही| वही बीजेपी वाले कांग्रेस पार्टी को ज़िम्मेदार मानते रहे है| हाँ इतना अवश्य है कि कांग्रेस ने पाकिस्तान पर सहमति अवश्य दी|ये क्यों दी इसके विषय में सरदार पटेल ने ११ अगस्त १९४७ भाषण में कहा था" जब में केंद्रीय सरकार में बैठा तो मैने देखा कि चपरासी से लेकर बड़े अधिकारियों तक साम्प्रदायिक घृणा से ग्रसित है"(भारत विभाजन ,संपादक उषा चोपड़ा पृष्ठ२०२)भारत विभाजन के विषय में महात्मा गांधी ने कहा "पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा "(नवजीवन १९४६ फरबरी अङ्क ) पाकिस्तान जब बना तो कांग्रेस के साथ ही दूसरी सेक्युलर पार्टियो ने अपनी सहमति दी| क्योकि हालत इतने ज़्यादा ख़राब हो चुके थे कि अब बटबारा ही इसका हल था |मौन्टवेटन ने मिस्टर जिन्ना को पाकिस्तान लाशो की तश्तरी में पेश किया,जिसे भारी मन से लेना ही पड़ा| परंतू ये हालत पैदा कैसे हुए ,इसकी जड़ो तक चलते है |मुस्लिम लीग की स्थापना १९०६ में आगा ख़ान ने की |ये एक राजनैतिक दल था जिसने सिंध ,लाहौर और पंजाब में अपनी सरकार भी बनाई | यह पार्टी केवल उन्ही इलाको में जीती जहाँ मुसलमानो की संख्या ७० %से भी ज़्यादा थी |1914 में हिन्दू महासभा की स्थापना हुई |उससे पहले आर्य समाज की स्थापना हो चुकी थी ,जिसने उर्दू और मुस्लमान दोनों का विरोध किया |इसके साथ ही शुद्धिकरण करके उन मुसलमानो को पुनःहिन्दू बनाने का आंदोलन शुरू किया जिनके पुरखे हिन्दू थे| इस आंदोलन का महात्मा जी ने देश हित और सौहार्द बनाए रखने के लिए विरोध किया |क्योंकी आज़ादी के लिए हिन्दू-मुस्लिम दोनों का सौहार्द बना रहना ज़रूरी था |इसके साथ ही हिन्दू महासभा ने लाहौर अधिवेशन में" हिंदी भाषा ,हिन्दू राष्ट्र और मुसलमानो का देश निकला " प्रस्ताव पास किया(विकिपीडिया मुस्लिम लीग) |इन तमाम चीज़ो से ऐसे वातावरण बन रहा था जिससे मुस्लिम लीग वालो को स्वतंत्रता के बाद मुसलमानो का भविष्य खतरे में दिख रहा था |१९३० में जब लीग बने पाकिस्तान की मांग की तो उस समय उनके ज़ेहन में ये बात अवश्य थी की मुस्लिम प्रतिनिधि केवल वही जीत सकते है जहाँ मुसलमानो की तादात ज़्यादा है और वह केवल सिंध और लाहौर का इलाका है |इससे मुसलमानो का सत्ता में नाम मात्र का प्रतिनिधित्तो रहेगा |इसके साथ ही हिन्दू महसभा का लाहौर में पारित प्रस्ताव ,आरएसएस के बयान और घोषणापत्र से भारत के मुस्लमान और लीग के नेताओ को लगने लगा कि आज़ादी कि बाद वे दूसरे दर्ज़े कि नागरिक बना दिए जाएगे |इन तमाम कारणों की वजहे से मुस्लिम लीग ने अलग मुल्क की मांग की | यही नहीं जब महात्मा जी ने ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान को १९२१ कांग्रेस में शामिल किया तो हिन्दू महासभा और कटटरपंथी संघठनो ने इसका खुला विरोध किया |नाथूराम गोडसे ने गांधी गई की हत्या क़े जो कारन बताए उनमे एक कारन ये भी था (गांधी वध और में ,संपादक गोपाल गोडसे )
१९४५ से ही भारत में दंगे शुरू हो चुके थे|इन दंगो को ना नेहरू सरकार रोक सकी और ना ही मिस्टर जिन्ना |जब की आरएसएस और हिन्दू महासभा दोनों ही गलत खबर फैलाकर हिन्दू बहुलीय इलाको में ज़हर फैला रहे थे |इसके साथ ही कटटरपंथी मुस्लमान भी बराबर इस काम में लगे थे |अब ऐसी स्थिति में जब सरकार और कम्मुनिस्ट पार्टियां दंगा रोकने में असफल हो रहे थी और औंग्रेज़ हुक्मरान ये कहकर तमाशबीन बने हुए थी कि ये मिस्टर जिन्ना और प्रधानमंत्री का मामला है ,हम कुछ नहीं कर सकते ,तब विभाजन ही एक रास्ता बचता है जिससे दंगे रोके जा सकते है ;और औंग्रेज़ इसी मौके कि तलाश में थे|
इन तमाम बातो को ध्यान में रखकर देखे तो कहा जा सकता है कि लीग , कांग्रेस ,कम्युनिस्टों ,जिन्ना , नेहरू और महात्मा जी को दोषी नहीं माना जा सकता है |हलाकि आज भी कुछ बदला नहीं है |विश्वहिन्दू परिषद और आरएसएस कि लोग १९३० का वातावरण पैदा कर रहे है आज फिर मुस्लमान अपनी सुरक्षा को लेकर चिंताजनक है | कटटरपंथी मुस्लिम नेता असदउद्दीन ओवेसी कि अनुसार "मुल्क को बचाना है ,मुल्क को मज़बूत करना है तो अपने जोकरों को रोको ,अपने चमचो को रोको ,अपने चाहनेवालों को रोको तब ये मुल्क बचेगा "(११ दिसम्बर २०१४ संसदीय शीतकालीन सत्र ) हलाकि मुस्लमान केवा;ल अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है ,लेकिन सरकार पर अभी भरोसा कर रहा है परन्तु जिस दिन सरकार और संविधान से भरोसा उठ गया तो दोहरे राष्ट्र कि अवधारणा पैदा हो जाएगी |अगर इन साम्प्रदायिक ताकतों को रोका नहीं गया तो एक और विभाजन हो सकताहै ....

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