रविवार, 23 अप्रैल 2017

दो हफ्ते और योगी सरकार उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जो अपनी विविधताओं के कारण अधिक जाना जाता है जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक है तो मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, नेपाली, बंगाली, आदिवासी और दलित भी अल्प संख्या में है उसके अलावा इस प्रदेश में हिन्दी, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, अवधी, भोजपुरी और नेपाली भी बोली जाती है उसके अलावा यहाँ खान-पान, धार्मिक मान्यताएं भी अलग है।
दूसरी तरफ ऐसे कट्टर वादी लोग है जो पिछले दो हफ्ते से उलटे सीधे कार्य कर करके कानून व्यवस्था, प्रशासन, धार्मिक अखण्डता को तहस नहस करने का लगातार प्रयास कर रहे है चाहे वो चुनाव के रिजल्ट आने से पहले हो या उसके बाद में। शुरू में ही बरेली जैसे शहर के गाँव में आपत्तिजनक पोस्टर लगाए गए उसके बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई शहरो की मस्जिदों में घुसकर जय श्री राम के नारे लगाये गए, मोहब्बत के शहर आगरा में भी कुछ हिन्दू धार्मिक संगठनों ने पिछले विवाद को हवा देते हुए मज़ार में घुसकर जय श्री राम के नारों का उदघोष किया।
परसों संभल की भी फिजा बिगाड़ने की कोशिश की गयी जिसमे कुछ उत्साहित समर्थकों ने उलटे सीधे नारे लगाये और प्रशासन से ही आमना सामना करने पर आमादा हो गए है। इसके अलावा प्रदेश के कई शहर, गाँवो में छुट पुट घटनाएं हुई है जो योगी सरकार के लिए सबसे ज्यादा खतरा है। इस बार बीजेपी के भावी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सामना खुद की बनाई हुई सेना और कट्टरवादी संगठनों से है जो प्रशासन, कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करते रहेंगे और योगी जी के सामने उस मुश्किल घड़ी से निकलने के लिए कोई रास्ता नही होगा सिवाय उन असामाजिक तत्त्वों से पुलिसिया डंडे से बात करने के जो कि बहुत बड़ा चैलेंज होगा वर्तमान सरकार के लिए।
दूसरी तरफ मंदिर मस्जिद मुद्दा जोंक की तरह चिपका रहेगा जो हिन्दूवादी संगठनों का अहम मुद्दा था चुनाव से पहले लेकिन अब भी दबी आवाज़ में ही सही वो आवाज़ उठा रहे है जबकि मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसमे कोई सरकार और कोई नेता चाहकर भी कुछ नही कर सकता है। जनता यह नही जानती है कि चुनावी मंच पर भाषण देना बहुत सरल है जबकि संवैधानिक पद पर बैठकर काम करना बहुत मुश्किल है। बहुत कम ऐसे नेता है जो भाषणों में जो कहते है वो करते है वरना जुमलो जैसे शब्द तो आजकल आम हो ही गये है ।
योगी सरकार अगर अच्छा गवर्नेन्स करना चाहती है तो सबसे पहले उसको कट्टर धार्मिक संगठनों पर नकेल कसना होगी , दलित, यादव, मुस्लिमो का विश्वास जीतना होगा, खान पान पर लगी पाबन्दियों को दरकिनार करना होगा और प्रदेश की अस्मिता को बचाकर 2022 में फिर से प्रदेश के उच्च पद पर विराजमान हो सकते है। क्योंकि कुछ दिन बाद वोही लोग विरोध में आ जायेंगे जिन्होंने इस बार बीजेपी को समर्थन दिया था विकास के मुद्दे पर यह बात सोचने योग्य है यदि देश का सबसे बड़ा प्रदेश खुशहाल होगा, किसानों, मज़दूरों के मुद्दे समाप्त हो जायेंगे तो मुझे नही लगता प्रदेश में कोई दूसरी सरकार आ सके.

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