गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

एक पूरी कौम को आबादी से निकालने की कवायद है नागरिकता संशोधन अधिनियम- जावेद क़ादरी


देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम को लोकसभा में प्रस्तुत किया जिसे लोकसभा में पूर्ण बहुमत ( 311 ) मत के साथ उस अधिनियम को संशोधित करने की अनुमति दी गई है। इसके बाद इस बिल को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गयी हैं। इस अधिनियम को लाने की वजह जो बताई जा रही है वो किसी भी स्तर पर उचित नहीं है।

ग्रहमंत्री का कहना था, कि 1947 में देश का बँटवारा धर्म के आधार पर हुआ था, और जब हम इस अधिनियम को धर्म के आधार पर लागू कर रहे हैं तो इन लोगो के पेट मे दर्द क्यों हो रहा है? ये दर्द इसलिए हो रहा है क्योंकि यह संविधान के ख़िलाफ़ है मानवता के ख़िलाफ़ है सिर्फ एक समुदाय को टारगेट किया जा रहा है।

सांसद में सभा को संबोधित करते हुए देश का ग्रहमंत्री झूठ बोलता है और वहाँ बैठे तमाम लोग और स्पीकर चुपचाप तालियां बजाकर इस झूठ का साथ देते हैं, जो निंदनीय है। झूठ ये बोला गया कि पाकिस्तान और बांग्लादेश की अल्पसंख्यक जनसंख्या की प्रतिशत में गिरावट जैसे, 1947 में बांग्लादेश में 22% अल्पसंख्यक लोग रहते थे, जो 2011 में सिर्फ 7.8% बचे तब वाकी के लोग कहाँ गए?

सबसे पहले मैं यह बात साफ करदूँ कि बांग्लादेश 1947 में नहीं बल्कि 1971 में बना था इससे पहले इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। अब बात करते हैं अल्पसंख्यक जनसंख्या में इतनी गिरावट कैसे आई तो बुद्धिजीवियों इतना तो आप लोग जानते होंगे कि जब जनसंख्या बढ़ती है तब प्रतिशत में भी गिरावट आती है। बांग्लादेश की आबादी 1947 में 4,00,00,000 (4 करोड़) थी जिसमें 88 लाख लोग अल्पसंख्यक थे। जब इसका प्रतिशत निकलेंगे तब 22% आएगा ।

2011 में बांग्लादेश की आबादी 4 करोड़ से बढ़कर 16 करोड़ के आसपास आ गई, और अल्पसंख्यकों की संख्या 88 लाख से बढ़कर 1,28,70,000 (1.30 करोड़) के आसपास पहुँच गई और जब हम इसका प्रतिशत निकालेंगे तो यह 7.8% आएगा।

भारतीय संस्कृति कहती है कि वासुदेव कुटुम्बकम यानी पूरी दुनिया मेरा परिवार है। लेकिन देश का गृह-मंत्री एक ऐसा विधेयक लेकर आता है कि जो पीड़ित और असहाय लोगों में भी धर्म के नाम पर भेद करता है। सवाल यह है कि नए क़ानून के वजूद में आने से जैन, बोद्ध, पारसी, सिंधी, हिंदू, सिख, ईसाई, को तो नागरिकता मिल जाएगी लेकिन म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका से आए शरणार्थियों का क्या किया जाएगा?

यह नागरिकता संशोधन अधिनियम सिर्फ एक समुदाय को सताने के लिए लाया जा रहा है। CAB के ज़रिए पूरे देश से एक पूरी कौम को आबादी से निकालने की कवायद शुरू करदी गई है। मुसलमानों को खुले-आम गालियाँ दी गई वह शाँतं रहा। गाय के नाम पर मोब-लिंचिग की गई पर वह शांत रहा। मुसलमान अयोध्या और कश्मीर पर भी शांत रहा मुसलमानों द्वारा मुसलमानों से शांति बनाए रखने की अपील की गई। पर मुझे नहीं लगता की की अगर उससे उसका घर उसका वतन छीनोगे तो वह शाँत रहेगा हम और आपको सड़कों पर आकर आन्दोलन करना चाहिए। जब JNU के छात्र फ़ीस को लेकर सड़कों पर आँदोलन कर सकते हैं तो तुमसे तो तुम्हारा घर तुम्हारा वतन छीनने की तैयारी चल रही अब नहीं निकलोगे तो कब निकलोगे?

आज फिर मुझे अकबरुद्दीन ओवैसी की वो बात याद आती है कि ऐ मुसलमानों तुम्हारी तबाही और बर्बादी के नापाक़ मंसूबे और कानून की शक्ल में और कहीं नहीं बल्कि देश की संसद में बनाए जाते हैं। इसलिए मुसलमानों तुमको भारी तादाद में सियासत में हिस्सा लेना पड़ेगा।

हिजरत न की तो लोगो ने गद्दार कह दिया
ए मुल्क़ हम तो तेरी मोहब्बत में मर गए

 *Written by
Mohammad Javed Alig

Mohammad Javed is an Independent freelance Journalist, based in Delhi. He actively writes on socio-political and human rights issues of the country. He is Post-Graduate in Media.
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4 टिप्‍पणियां:

  1. I think CRB is an exercise to exclude muslims only.It is a kind of moblynching where stones and weapons are invisible.It is sad to say that the muslims who prefered to stay in India are punished.CRB is violation of equal rights to all citizen irrespective of their religion.CRB is gross injustice to muslims. - Sahil Parmar

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  2. This is really well written...and you really explained that population thing very clearly...💯

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