शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2017

बड़ी कठिन है गुजरात की डगर - अकरम हुसैन क़ादरी

बड़ी कठिन है गुजरात की डगर- अकरम हुसैन क़ादरी


2013 के बाद से जिस गुजरात मॉडल को भारतीय जनता पार्टी, कुछ मीडिया घराने प्रचारित कर रहे थे अब उनकी पोल खुलने लगी है जिसको दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक टीवी डिबेट में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सामने पोल खोल दी थी ।
गुजरात तो हरेन पांड्या हत्याकांड से भारत मे बहुत मशहूर था लेकिन 2002 के दंगों ने गुजरात को देश विदेश में एक अलग ही पहचान दी जिसको माननीय कविवर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक सार्वजनिक मंच पर राज धर्म निभाने का बोल भी चुके तो और उस वक़्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री को सबके सामने डाँट भी चुके थे । 2001 से ही गुजरात की राजनीति में जो उछल पुच्छल मच चुकी थी उसमे शुरुआत हत्या से हुई और कुर्सी तक पहुंचते पहुंचते नरसंहार कराने पढ़ें उसमे ना जाने कितनी महिलाओ को विधवा बनाया गया, हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार किये गये, बच्चों को माँ का पेट फाड़कर मारा गया एेसे कुकृत्यों से देश शर्मसार हुआ। देश का विकास भी बाधित हुआ वो अलग। आज भी जिसकी लपटें हमें देखने को मिल जाती हैं
आगामी विधान सभा  चुनाव 2017 पर नज़र डाले तो हम देखते है कि इस बार गुजरात के 15 साल के इतिहास में पहली बार भाजपा को मात खानी पड़ सकती है क्योंकि गुजरात के सबसे बड़े तबके बीजेपी से पूरी तरह से रूठ चुके है उनको मनाने के लिए बीजेपी के शीर्षथ नेतागण, कैबिनेट मिनिस्टर भी बीजेपी में कुण्डली जमाये बैठे है लेकिन गुजरात की जनता खामोशी से अपना काम कर रही है उसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ का गुजरात का रोड शो है जिसमे अनेक जगह व्यापारियों ने काले झण्डे दिखाए और जिस प्रकार पूर्व में वहां पर किसी बीजेपी नेता की रोड शो में भीड़ नज़र आती थी वो बिल्कुल भी नज़र नही आई बल्कि पूरी तरह से रोड शो फ्लॉप नज़र आया जिसको भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने ट्वीट करके कहा कि योगी जी का रोड शो फ्लॉप होने का मतलब यह बिल्कुल नही है कि मोदी लहर ख़त्म हो गयी है मतलब साफ है कि अभी वो कोई नया साम्प्रदयिक पैंतरा आजमाने की सोच रहे हो जो गुजरात के मिजाज़ के अनुकूल होगा और वो कामयाब नज़र आ सकते है ।
पिछले दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष जिनको अब बोलना शायद आ चुका है वो भी अब खूब बढ़कर बोलने लगे है जो आक्रमकता की राजनीति को शायद अब समझ रहे है जोकि उनके पाले में जा रहे है अब मेनस्ट्रीम मीडिया का भी उनको साथ मिलना कुछ हद तक शुरू हो चुका है।
गुजरात में बीजेपी को गड्ढे में धकेलने में सबसे अहम किरदार पाटीदार समाज के कर्ता-धर्ता हार्दिक पटेल अदा करेंगे जिनको शिवसेना का तो समर्थन है ही उसके अलावा वो 'आप' में भी कुछ ज़मीनी स्तर पर काम कर चुके है और कांग्रेस तो पूरी तरह से पाटीदार समाज के प्रमुख के साथ खेल रही है
इसके साथ ही अब पटीदार समाज के नेता ही नहीं आम पाटीदार बीजेपी के विरोध में उतर चुका है। जिसको हम पाटीदार अंदोलन से अब तक देखते आ रहे हैं। अगर एेसा ही रहा तो हो सकता है कि यह मैच जीतने में कांग्रेस सफ़ल हो जाये और उसको गुजरात मे अपनी खोई ही प्रतिष्ठा को दोबारा प्राप्त कर सके। पर कांग्रेस को अभी अपनी गृहकलह पर ध्यान देना होगा। जिस तरह से शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस को छोड़ा है, अगर एेसा ही रहा तो कांग्रेस बीजेपी विरोधी लहर जो बीजेपी की गलत नीतियों की वजह से उठ रही है, उसका फायदा नहीं उठा पायेगी। बीजेपी को अपने गढ़ गुजरात में पहले सोना व्यापारियों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था यहाँ तक की कई व्यापारियों ने अपना कारोबार बंद कर के विरोध जताया था। इसके बाद नोट बंदी से छोटे मोटे व्यापार मानो खत्म ही हो गये। अभी गुरात के व्यापारी इस सदमें से उबरे भी नहीं थे कि जी.एस.टी. ने सब की कमर तोड़ दी। आपको यह भी पता होगा कि व्यापारी इलैक्शन में बहुत बड़ा रोल अदा करते हैं क्योंकि पार्टियों की फंड़िंग में एक मोटा हिस्सा इन्हीं का होता है, जो हमने 2017 के इलैक्शन में देखा था।
गुजरात मे बीजेपी को हराने में कपड़ा व्यापारी अहम रोल अदा कर सकते है क्योंकि नोटबन्दी के बाद GST के बिल ने उनकी कमर तोड़ दी है जिसको वो मोदी सरकार को उनके डायरेक्ट पेट मे लात मारने जैसा समझ रहे है और उन्होंने GST के खिलाफ शुरू से ही सूरत में लाखों की तादाद में विरोध किया। सूरत के साथ ही अहमदाबाद और जामनगर में भी कपड़ा व्यापारियों ने बड़ी बड़ी रैलियाँ निकाली थी। लेकिन मुख्य मीडिया में वो सुर्खियां नही बटोर पायीं। जिससे उनके अंदर बहुत गुस्सा है जिसको वो इस चुनाव में भाजपा को विधानसभा चुनाव हराकर पूरा करने की कोशिश करेंगे। जबकि बीजेपी को सबसे ज्यादा समर्थन आजतक गुजरात के पाटीदारों और व्यापारियों से ही मिला है जो अब खिसकता हुआ नजर आ रहा है ऐसा प्रतीत भी हो रहा है कि आने वाले समय मे गुजरात की शक्ल बदल सकती है कोई दूसरा गुजरात मे काबिज़ हो जाएगा
इसके साथ ही ऊना कांड ने बीजेपी की पूरे देश में किरकिरी करवादी थी और आज भी गुजरात के दलित परेशान हैं। आज भी दलितों के साथ छुट पुट घटनाएँ होती रहती हैं। इसका असर सीधा गुजरात विधान सभा में देखने को मिलेगा। वहीं बीजेपी भी इन सब चीजों से अवगत है वह अपने तुरुप के पत्ते रखे हुए है जिनमें कांग्रेस की गृहकलह को हवा देना, पाटीदार अंदोलन को कमजोर करना, जीएसटी में कटौती करके कपड़ा व्यापारियों को मनाना आदि। अब देखना यह है कि कौन मौकों को भुनाकर बाजी मारता है।
अकरम हुसैन क़ादरी और आसिफ साबरी
जय हिंद

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