आला हज़रत ने ऐसे लिया अंग्रेज़ो से लोहा - मीनू बरकाती
चौहदवीं सदी के सबसे बड़े आलिम आला हज़रत फाजिले बरेलवी मौलाना अहमद रजा खां ने दीनी खिदमात के साथ साथ एक सच्चे देशप्रेमी (वतनपरस्त) का भी किरदार अदा किया। अंग्रेजों से वह इतनी नफरत करते थे कि मलिका विक्टोरिया के टिकट को अपमान करने के मक़सद से उन्होंने खतों पर हमेशा उल्टा ही चिपकाया। आपने जंग-ए-आजादी में अंग्रेजों से लड़ने के लिए अपने घोड़े आजादी के दीवानो को दे देते थे। अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ने वाले सिपाही आपके गरीब खाने में ठहरते थे। यही वजह थी कि लार्ड हेस्टिंग जैसे जनरल ने आपका सर कलम करने का इनाम पांच सौ रुपये रखा था। आला हजरत की पैदाइश जंग-ए-आजादी से ठीक एक साल पहले यानी 14 जून 1856 ई. को बरेली के मोहल्ला जसौली में हुई थी। आपके कुनबे का ताल्लुक कंधार (अफगानिस्तान) से है। मुगलिया शासन में आला हजरत के खानदान के बुजुर्ग हिंदुस्तान आए थे। आपके दादा हुजूर मौलाना रजा अली खां किसी जंग के सिलसिले में रूहेलखंड आए और यहीं के होकर रह गए। आला हजरत के वालिद मुफ्ती नकी अली खां भी अपने वालिद की तरह अंग्रेजों की हुकूमत से सख्त नफरत करते थे। कई बार अंग्रेजों ने आपको गिरफ्तार करने की कोशिश भी की, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई। उन्हें जैसे ही अंग्रेजी फौज के आने की भनक लगती थी, वह मस्जिद में चले जाते थे। वहां अंग्रेज जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते थे। आला हजरत ने अंग्रेजों के खिलाफ फतवे भी जारी किए। अंग्रेजों द्वारा आयोजित किए जाने वाले तमाशों और भाषणों में मुसलमानों को आला हजरत ने ही जाने से रोका। आपका कहना था कि अंग्रेजों ने हमारे मुल्क के साथ धोखा किया है। फिरंगी तिजारत के बहाने आकर हाकिम बन गए और हमारे मुल्क के लोगों पर जुल्म ढहा रहे हैं। आला हजरत अंग्रेजी दौर में कोर्ट कचहरी जाने के सख्त विरोधी थे। आला हजरत इमाम अहमद रजा खान फाज़िले बरेली का जन्म 10 शव्वाल 1672 हिजरी मुताबिक 14 जून 1856 को बरेली में हुआ आपके पूर्वज कंधार के पठान थो जो मुग़लो के समय में हिन्दुस्तान आये थें।आला हज़रत ने उस वक़्त अंग्रेज़ो से लोहा लिया जिस वक़्त कुछ मौलाना अपनी रोज़ी रोटी को चलाने और मुल्क को बरगलाने में लगे थे और अंग्रेज़ो से तीन सौ रुपये महीना लेकर उनके एजेंडे पर काम कर रहे थे और ऐसे मदरसे को फरोग दे रहे थे जो इस्लामी लिबास तो पहनते थे और है भी लेकिन वफादारी हमेशा अंग्रेज़ो की ही निभाते थे, निभाते है।
आला हजरत का उर्स बरेली शरीफ मे हर साल सफर की 25 को मनाया जाता है इस बार यह उर्स 25 सफर चांद की और अंग्रेजी की 15 नवंबर को मनाया जायेगा।इसमे देश विदेश से लाखों की तादात मे जायरीन आते है
मीनू बरकाती शेरपुर कलां
पुरनपुर पीलीभीत उत्तर प्रदेश
9759227686
Meenu.barkaati@gamil.com
Rutba Hi Kuch Aisa Hai Uncha Aala Hazrat Ka
जवाब देंहटाएंDuniya Bhar Me Hota Hai Charcha Aala Hazrat Ka
हिजरी 1272
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