गुरुवार, 3 मई 2018

संघियों का काला सच -अकरम क़ादरी

सुनो कंघी गुंडो तुम्हारा तो कोई इतिहास है ही नही दुसरो का इतिहास क्यो मिटाना चाहते हो, कंघियों का अगर कोई इतिहास है तो सावरकर, हेडगेवार से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक ने अपने अंग्रेज़ आकाओं से माफी मांगकर देश के आज़ादी के मस्तानो की लाश पर चढ़कर देशद्रोह किया है यह स्याह सच है जिसको तुम जैसे लोग ना समझ सकते है और ना ही समझेंगे, अगर तुम यह सोचते हो यहां कोई जिन्ना को मानता है तो यह तुम्हारी भूल है, जिन्ना को कल हमारे बुज़ुर्गो ने जूते की ठोकर पर रखा है आज हम भी उसको जूते की ही ठोकर पर रखते है जबकि तुम्हारे फ़र्ज़ी राष्ट्रभक्त तुम्हारे ही जनसंघ,आरएसएस से निकले लालकृष्ण आडवाणी ने जिन्ना की मज़ार पर चादर चढ़ाकर वहां पर शीश नबाया था और उसकी शान में कसीदे पढ़े थे, दूसरे तुम्हारे बड़े नेता पूर्व विदेश मंत्री जो कुख्यात आतंकवादी इंसानियत का दुश्मन मसूद अजहर कुत्ते को अफगानिस्तान छोड़कर आये थे और फिर घर आकर उन्होंने जिन्ना की तारीफ के कसीदे यहां तक पढ़े कि उसकी वफादारी में पूरी किताब ही लिख दी, तुम्हारे फ़र्ज़ी राष्ट्रभक्ति की पोल पूरी दुनियां जानती है, तुम ही हो जो 26 जनवरी को काला दिवस मनाते हो और संविधान को जलाने की भरसक कोशिश भी करते है, तुम्हारे ही संगठन के हिन्दू महासभा के लोग तीस जनवरी को नाथूराम गोडसे की पूजा करके शौर्य दिवस मनाते है बताओ जिसने देश के महात्मा को मार दिया आखिर वो कैसे देशभक्त हो सकतेहै, जहां तक मुद्दा एएमयू के स्टूडेंट यूनियन के हाल का है तो उन्होंने जिन जिन नेताओ, सामाजिक कार्यकर्ताओ को लाइफ़ मेम्बरशिप दी है तो उनके केवल फ़ोटो लगे है जबकि जिन्ना की फ़ोटो 1938 से यूनियन हॉल के रूम में है तो उससे किसी को क्या फर्क पढ़ सकता है जबकि एएमयू ने भारत को अनेक नेता, इंजीनियर, डॉ और सिविल सर्विसेज में काम करने वाले लोग दिए है, जबकि इतिहास के पन्नो को पलटा जाए तो हम देखते है महात्मा गांधी को महात्मा नाम ही अलीगढ़ ने दिया उसके बाद आज़ादी के दीवाने यही से गांधी जी के साथ चल दिये ......कंघियों बताओ कौन तुम्हारा देशभक्त ऐसा था जो आज़ादी की लड़ाई में शामिल था, तुम कल भी अंग्रेज़ो के ग़ुलाम थे और आज मानसिक ग़ुलाम हो.................

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