बुधवार, 9 मई 2018

संघ का निशाना यूनिवर्सिटीज़ क्यों- अकरम हुसैन क़ादरी

संघ का निशाना यूनिवर्सिटीज क्यों- अकरम हुसैन क़ादरी

एक ऐसा तथाकथित संगठन जिसकी पैदाइश 1925 में होते हुए भी देश की आज़ादी में कोई योगदान नहीं है, यह ऐसा संगठन है जिसको खतरा कभी अंग्रेज़ो से ना था, ना है ! बल्कि खतरा अगर किसी से है तो वो है आजकल के आधुनिक मानसिकता वाले, प्रश्नों की बौछार करने वाले, अपने लिए रोजगार की बात करने वाले, शिक्षा का अधिकार मांगने वाले, भाईचारे, मानवता से अपार प्रेम करने वाले, विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले, भारत की धड़कन, आधुनिकीकरण के ध्वजवाहक छात्र-छात्राओं से है, क्योंकि उनको मालूम है हमारे कुकर्मों को उजागर यही करेंगे कोई दूसरा नहीं कर पायेगा , इसलिए वो शिक्षा का बजट कम करते रहते हैं, आधुनिक सोंच रखने वालों पर अपने सहयोगी सोच रखने वाले स्टूडेंट से पिटवाते है, उन पर व्यक्तिगत हमले कराते है अगर इन सब में कामयाब नहीं होते हैं तो उनपर देशद्रोह जैसे मुकदमें लगवा देते है।
सोचने समझने लायक बात है आखिर यह लोग आने वाली पढ़ी-लिखी सोच को क्यों ख़त्म करना चाहते हैं, क्योंकि यह चाहते हैं देश मे एकरूपता हो जिसमें धर्म एक हो, संस्कृति एक हो, संस्कार एक हो, जो कभी हो नहीं सकता क्योंकि इस देश की खूबसूरती हमेशा बहुसांस्कृतिक रही है, अनेक धर्म है, अनेक भाषाएं है ।  समाज का नौजवान तबका यही चाहता है कि देश में डाइवर्सिटी हो लेकिन इस तरह के लोग देश को तोड़ने की साज़िश अपनी सत्ता को पाने के लिए कर रहे है।
साहब जिस वक्त देश के प्रधानमंत्री के लिये नामित हुए तो 2013 के आस पास ही यूनिवर्सिटीज़ पर छुटपुट हमले शुरू हो गए, लेकिन इसने अपना रौद्र रूप तब धारण किया जब आरएसएस समर्थित सरकार सत्ता पर पूर्णतयाः काबिज़ हो गयी जिसमें सबसे पहले FTII जैसे इंस्टिट्यूट पर हमला हुआ, उसके बाद जाधवपुर यूनिवर्सिटी, फिर हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एक दलित छात्र एक्टिविस्ट डॉ. रोहित वेमुला को संदिग्ध हालात में मरवा दिया गया, बाद में मीडिया ने उसकी जाति पर बहस की यह बहुत घृणित कार्य था, जेएनयू को फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद के नाम पर प्रताड़ित किया गया, लेकिन उसमें भी आज तक कोई इनकी पुलिस फाइनल रिपोर्ट नही लगा पाई है, फिर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी जैसी संस्था पर लड़कियों पर हमले कराए गए जो कि इतना घृणित कार्य था जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है, रामजस कॉलेज में फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद के चक्कर में एक फौजी की बेटी को रेप करने की धमकी दी गयी,
आजकल सबसे ज्यादा सुर्खियों में एएमयू है क्योंकि इसके नाम में मुस्लिम है जो इनको सत्ता भी देता है और फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद की धमाचौकड़ी मचाकर, नए नए लोगो को फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद के नाम से मीडिया में सुर्खिया भी देता है जिससे इनको चुनाव के समय मुद्दे भी मिलते है, दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन हॉल के एक कक्ष में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी है क्योंकि 1938 में जिन्ना को उस वक़्त की स्टूडेंट यूनियन ने लाइफ मेम्बरशिप दी थी, जोकि 1920 में देश के महात्मा गांधी को भी मिली थी, जबकि यह तस्वीर केवल एक इतिहास है, उसके अलावा कुछ नहीं,  दरअसल इस मुद्दे की ज़रूरत वर्तमान सरकार  को क्यों पड़ी  क्योंकि अलीगढ़ में पिछले मेयर के चुनाव में बीजेपी को मुँह की खानी पड़ी है उनको ऐसा लग रहा है कि 2019 में सांसद भी गवा बैठेंगे, इसलिए अलीगढ़ के मौजूदा सांसद ने यह फ़र्ज़ी मुद्दे को तूल दिया है,जबकि वर्तमान सरकार ने जो 2014 में वादे किए थे उनमें से कोई भी पूरा नही हुआ है, आगामी चुनाव 2019 में जनता के बीच जाने के लिए उनके पास मुँह दिखाने के लिए कोई काम नही है तो वो इन भावनात्मक मुद्दों को उठाकर धुर्वीकरण करके देश की शीर्ष सत्ता पर काबिज होने की ख्वाहिश है जिससे फिर देश मे झूठे वादों, और फ़र्ज़ी मुद्दों में फंसाया जाए, वर्तमान सरकार किसी भी वादे को पुरा नहीं कर सकी और मुद्दे पर पूर्णतया सही साबित नहीं हुई है जिसके लिए उसे देश की कुर्सी भी छोड़ना पड़ सकता है क्योंकि देश का पढ़ा-लिखा नौजवान उनकी यह धूर्त, गन्दी राजनीति को समझ चुका है और वह देश मे घूमघूम कर इनके कारनामों को बेनकाब करने की कोशिश करेगा, इसलिए संघ और उसके साथी संगठन यूनिवर्सिटीज़ पर हमला करके अपनी सोच को उजागर कर रहे है, जिसको देश का युवा  अच्छे से समझ रहा है
#जय_हिंद
#जय_भारत

अकरम हुसैन क़ादरी

2 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल हकीकत जाहिर की है आप ने ।।।।।

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  2. कुछ कहने की जरूरत नहीं है हालात सब कुछ सामने है।।

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