बुधवार, 1 अगस्त 2018

अखण्ड भारत पर आरएसएस का सच- अकरम क़ादरी



अखण्ड भारत, भारत के प्राचीन समय के अविभाजित स्वरूप को कहा जाता है। प्राचीन काल में भारत बहुत विस्तृत था   जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, बर्मा, थाइलैंड आदि शामिल थे। कुछ देश जहाँ बहुत पहले के समय में अलग हो चुके थे वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि अंग्रेजों से स्वतन्त्रता के काल में अलग हुये।
अखण्ड भारत वाक्यांश का उपयोग हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों शिवसेनाराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा विश्व हिन्दू परिषद आदि द्वारा भारत की हिन्दू राष्ट्र के रूप में अवधारणा के लिये भी किया जाता है।
इन संगठनों द्वारा अखण्ड भारत के मानचित्र में पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि को भी दिखाया जाता है। ये संगठन भारत से अलग हुये इन देशों को दोबारा भारत में मिलाकर अविभाजित भारत का निर्माण चाहते हैं। अखण्ड भारत का निर्माण सैद्धान्तिक रूप से संगठन (हिन्दू एकता) तथा 'शुद्धि से जुड़ा है।
भाजपा जहाँ इस मुद्दे पर संशय में रहती है वहीं संघ इस विचार का हमेशा मुखर वाहक रहा है। संघ के विचारक हो०वे० शेषाद्री की पुस्तक The Tragic Story of Partition में अखण्ड भारत के विचार की महत्ता पर बल दिया गया है। संघ के समाचारपत्र 'ऑर्गनाइजर' में सरसंघचालक मोहन भागवत का वक्तव्य प्रकाशित हुआ जिसमें कहा गया कि केवल अखण्ड भारत तथा सम्पूर्ण समाज ही असली स्वतन्त्रता ला सकते हैं।
भारत में मुस्लिम शासकों से पूर्व भारत छोटे छोटी रियासतों में बंट गया था, जिन्‍हें पुन: मिलाकर मुस्लिम शासकों ने अखण्‍ड भारत की स्‍थापना की थी। वर्तमान परिस्थितियों में अखण्‍ड भारत के सम्‍बन्‍ध में यह कहना उचित होगा कि वर्तमान परिस्थियों में अखण्‍ड भारत की परिकल्‍पना केवल कल्‍पना मात्र है, ऐसा सम्‍भव प्रतीत नहीं होता है। शिवसेना के सुप्रिमो व हिन्दु ह्रदय सम्राट कहे जाने वाले बाल ठाकरे ने अखण्ड भारत कि स्थापना मे पहले बचे हुए भारत को हिन्दु राष्ट्र घोषित करने के लिए शिवसेना को चुनाव मे उतारा हैं।
अखंड भारत में आज के अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका आते है केवल इतना ही नहीं कालांतर में भारत का साम्राज्य में आज के मलेशिया, फिलीपीन्स, थाईलैंड, दक्षिण वियतनाम, कंबोडिया ,इंडोनेशिया आदि में सम्मिलित थे। सन् 1875 तक (अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका) भारत का ही हिस्सा थे लेकिन 1857 की क्रांति के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिल गई थी उन्हें लगा की इतने बड़े भू-भाग का दोहन एक केंद्र से  करना संभव नहीं है एवं फुट डालो राज करो की नीति अपनायी एवं भारत को अनेकानेक छोटे-छोटे हिस्सो में बाँट दिया केवल इतना ही नहीं यह भी सुनिश्चित किया की कालांतर में भारतवर्ष पुनः अखंड न बन सके।

अफ़ग़ानिस्तान (1876) :विघटन की इस श्रृंखला का प्रारम्भ अफ़ग़ानिस्तान से हुआ जब सन् 1876 में रूस एवं ब्रिटैन के बीच हुई गंडामक संधि के बाद अफ़ग़ानिस्तान का जन्म हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे देश बंटने लगे भूटान (1906),तिब्बत (1914),श्रीलंका (1935),बर्मा(1937),पाकिस्तान (1947) में बंट गया जिससे हमारी शक्ति भी कुछ कम हुई, इसके बाद आज कश्मीर को अलग होने की मांग हो रही है, गोरखालैंड की मांग, खालिस्तान की भी मांग हो रही है, लेकिन वर्तमान समय मे देश की सरकार ने जो कदम उठाए है वो हिन्दुत्त्व के मुद्दों के खिलाफ है जैसे असम में हिन्दू,मुस्लिमो और पूर्व सेना के सिपाहियों को भी वो वोटर लिस्टसे हटा दिया गया है आश्चर्य तो तब हुआ जब देश के पांचवे राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली मोहम्मद के परिवार के लोगो का भी उनकी लिस्ट में नाम नही था, बल्कि एक विद्यायक का भी नाम नही है जबकि वो वर्तमान में उसी विधानसभा से विधायक भी है, अब सोचना यह है कि यह सरकार केवल अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, विद्यार्थी और महिला विरोधी ही नही है बल्कि हिन्दू विरोधी भी है जो 40 लाख लोगों को अखण्ड भारत से कम करना चाहती है जिससे भारतीय संस्कृति, शिक्षा, संस्कार, और भाषा को प्रोत्साहन कैसे मिलेगा....सरकार पूरे तरह सत्ता की लोभ में फंस चुकी है...अगर हमे सच मे अखण्ड भारत बनाना है तो सबसे पहले मानवता का प्रचार प्रसार करना होगा उसके बाद, सबको अपना बनाकर अपने अखण्ड भारत के सपने को पूरा करना होगा, अंग्रेज़ो की भांति, फुट डालो राज करो कि नीति को छोड़कर सभी नागरिकों की शिक्षा, रोज़गार,, स्वास्थ्य, मकान की परवाह करके नागरिकों का दिल जीता जा सकता है, नफरत की राजनीति बन्द करके सबको साथ लेकर चलना होगा

- अकरम क़ादरी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें