शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

दशकों से काबिज, पीलीभीत के लिए विकास-मॉडल तैयार करने में बीजेपी असफल- मोहम्मद जावेद

दशकों से काबिज बीजेपी, पीलीभीत के लिए विकास-मॉडल तैयार करने में असफल रही है- मोहम्मद जावेद



पूरे देश में चुनावी मेला सज चुका है| हर प्रदेश अपने अपने चुनावी मुद्दों के साथ चुनावी मैदान है| हर प्रदेश के अपने चुनावी मुद्दे है अपने अपने नेता है| इन्ही प्रदेशों में एक प्रदेश है जिसका नाम उत्तर प्रदेश है, जहां की राजनीति देश की राजनीति में अहम् भूमिका निभाती है| कहा ये जाता है की दिल्ली की कुर्सी उत्तर प्रदेश से होकर जाती है| इसी प्रदेश में एक क्षेत्र है पीलीभीत जिसे बांसुरी नगरी भी कहा जाता है| 

देश की लगभग 95% बांसुरी बनाने वाली, बांसुरी नगरी पीलीभीत, उत्तर प्रदेश के रोहिलखंड क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है| जिसकी साक्षरता दर 64% है| पीलीभीत क्षेत्र की आबादी 20 लाख से अधिक है जिसमे हिन्दू आबादी 71%, और मुस्लिम 24% हैं, पुरुष लगभग 10 लाख 72 हज़ार और 9 लाख 60 हज़ार महिलाएं हैं| 

पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में कुल16 लाख 71 हज़ार 151 हैं जिन्हे आने वाली 23 को अपने मत का प्रयोग करना है| पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 5 निर्वाचन क्षेत्र: बहेड़ी, बरखेडा, पूरनपुर, बीसलपुर और पीलीभीत आते हैं|   

पीलीभीत में पहले आम चुनाव 1952 में हुए जिसमे कांग्रेस पार्टी के मुकुंद लाल अग्रवाल ने जीत दर्ज की| उसके बाद 1980 और 84 के दशक में पीलीभीत सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा| 1989 और 1996 में मेनका गांधी ने जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतकर अपनी मजबूत दावेदारी पेश की| मेनका गाँधी ने पहली बार 2004 में बीजेपी के टिकट पर बड़े मार्जिन से चुनाव जीता| उसके बाद 2009 में उन्होंने अपनी ये सीट अपने बेटे वरुण गाँधी को दे दी जिन्होंने गौरक्षा पर दिए गए बिबादित बयानों के चलते इस सीट को जीता| 2014 मेनका गाँधी ने एक बार फिर बीजेपी से जीत हासिल की|

2014 में बीजेपी की मेनका गांधी ने 5 लाख 54 हज़ार वोट पाकर जीत को अपने नाम किया, सपा प्रत्याशी वुद्धसेन वर्मा 2 लाख 72 हज़ार 882 वोटों के साथ दुसरे नंबर पर रहे|

इस बार फिर बीजेपी के वरुण गाँधी और गठबंधन प्रत्याशी हेमराज चुनावी मैदान में आमने सामने हैं| इन दोनों के बीच काटें की टक्कर मानी जा रही है|  हालांकि अभी कांग्रेस ने अपने कैंडिडेट का एलान नहीं किया है| जहां एक तरफ वरुण गांधी का उनकी माँ द्वारा बनाया गया वोट बैंक है तो वहीं दूसरी तरफ हेमराज वर्मा एक स्थानीय प्रत्याशी है जो कि 2012 में असेंबली इलेक्शन जीत चुके हैं उन्होंने बीजेपी के प्रवक्तानन्द को भारी बहुमत से हराया था|

दूसरी तरफ 2009 में पीलीभीत से सांसद रह चुके हैं वरुण गांधी हैं जिन्होंने पीलीभीत से ही पहला चुनाव लड़ते हुए 4 लाख 19 हजार 539 वोटों से जीत हासिल की थी| उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रत्याशी वीएम सिंह थे, जो उनकी मां मेनका गांधी के चेचेरे भाई हैं| 29 साल के वरुण एक रैली में संबोधित 'विवादास्पद बयान' देकर सुर्खियों में आए थे| इस बयान के बाद लगा कि भारतीय जनता पार्टी को वरुण गांधी के रूप में युवा चेहरा मिल गया| लेकिन पिछले कुछ दिनों तक वरुण अपनी ही पार्टी में हाशिए पर थे|

जहां एक तरफ बीजेपी नेता वरुण गांधी पर पीलीभीत में भड़काऊ भाषण देने, सांप्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुँचाने, दंगा जैसे हालात पैदा कराना जैसे संगहीन मामले उनके विरुद्ध दर्ज हैं| वहीं हेमराज वर्मा पर भी एक मामला पब्लिक सर्वेंट को अपने कर्तव्य का पालन न करने देने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का मामला दर्ज हैं|

संपत्ति के मामले में हेमराज वर्मा के पास 55,000 कॅश के साथ साथ एक ट्रेक्टर और एक बाइक भी है| जिनकी सालाना कमाई लगभग 4 लाख है इसके साथ साथ 90 लाख के एसेट्स हैं| इससे पहले 2017 में वे लगभग 7 लाख का इनकम टैक्स रिटर्न भर चुके हैं| वही राहुल गांधी से भी चार गुना अमीर हैं वरुण गांधी| 2014 में दायर किए चुनाव एफिडेविट के मुताबिक वरुण गांधी की संपत्ति 35 करोड़ से भी अधिक है| करोड़पति होने के बावजूद राहुल और वरुण गांधी ने अपनी कार नहीं खरीदी है जो कि बेहद ताज्जुब की बात है|

पीलीभीत में गरीबी और बेरोजगारी अहम् चुनावी मुद्दे माने जा रहे हैं| अगर इलाके की गरीबी की बात करें तो पीलीभीत की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे अपनी ज़िंदगी गुज़र बसर कर रही है| इसके अलावा इलाके का लगभग 45% युवा बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा है| पिछले 6 दशकों में कोई ऐसा विकास का मॉडल तैयार नहीं गया जिससे युवा रोजगार हो सके|

मेनका गांधी के 6 बार संसद रहने के वाबजूद भी पीलीभीत की जनता को इसका कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ है| जनता आज भी गरीबी और बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है| मेनका गाँधी लम्बे समय से यहाँ की सांसद हैं लेकिन फिर भी यहां कोई ख़ास विकास होता हुआ नज़र नहीं आता है|

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