रविवार, 21 अप्रैल 2019

ज़ुल्म के ख़िलाफ़ एक आवाज़ है फैज़ुल हसन- वासिफ नेहाल अंसारी

AMUSU के पूर्व अध्यक्ष Faizul Hasan भाई को कौन नही जानता ? मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी के रिसर्च डिविज़न मे दिन रात गुज़ारने वाले फ़ैज़ुल हसन ने 2016 के स्टूडेंट्स के यूनियन के एलेक्शन से अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की और एएमयू छात्रों ने उन्हें 2662 वोटों से कामयाब किया। जब तक ये ए॰एम॰यू॰ एस॰यू॰ के अध्यक्ष रहे काफ़ी सक्रिय रहे ए॰एम॰यू॰ मे हर नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते रहे।अध्यक्ष रहते हुए और उसके बाद भी हिंदुस्तान मे हर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायी चाहे वो अख़लाक़ का मामला हो या हाफ़िज़ जूनेद का पहलू खाँ के ज़ुल्म की दास्तान हो या रोहित वेमुला के मौत की बात हर वक़्त फ़ैज़ुल हसन भाई को सबसे आगे पाया
मुझे याद है कि साल 2016 में नजीब के लिए पुरे हिंदुस्तान से आवाज़ उठायी गयी और ए॰एम॰यू॰ से इस आवाज़ को फ़ैज़ुल हसन भाई ने सब से पहले उठाया और दिसम्बर मे नजीब के मामले को ले कर हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने एएमयू से रेल रोको आंदोलन किया और पुलिस की लाठियाँ तक खायीं ए॰एम॰यू॰ के छात्रों पे लाठियाँ चलवाने की वजह से उस वक़्त के डी॰एम॰ राजमणि यादव को सस्पेंड किया गया।आप को याद होगा केरल बाढ़ के बारे मे जब वहाँ पे हज़ारों लोग बेघर होगये थे और भूकों मर रहे थे उस वक्त वहाँ अपनी टीम के साथ जा के नाव मे बैठ कर हफ़्तों तक बाढ़ग्रस्त लोगों को राहत सामग्री और खाने पीने का सामान पहुँचाते रहे।
दिल्ली मे जब रोहिंग्या कैम्प मे भीषड़ आग लगने से उनके पुरे घर जल कर राख और तबाह हो गये थे तब फ़ैज़ुल हसन भाई ने वहाँ जा के कई दिनो तक अपने हाथो से खाना बना के खिलाया और दिल्ली से लेकर मेवात तक लगभग 350 किमी० की बाईक रैली की। उसी नजीब के मामले को लेकर लखनऊ,पटना,बहराइच समेत देश के लगभग 20 जिलों मे प्रोटेस्ट किया और दिल्ली पहुँच कर CBI हेड क्वार्टर जाम किया । सीरिया में इज़राइल के द्वारा ढाए जा रहे ज़ुल्म ओ सितम और बमबारी मे बेक़सूरों को मौत के घाट उतार दिया गया AMU से इसके लिए आवाज़ बुलंद किया और हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए इज़राइल एंबेसी और सीरिया एंबेसी का घेराव किया और ज़बरदस्त प्रोटेस्ट किया ।
फ़ैज़ुल हसन भाई ने  पुरे ए॰एम॰यू॰ से लगभग 10 लाख रुपए चंदा इकट्ठा कर के सीरियाई मुसलमानों की मदद की और उस राशि को अपनी ज़िम्मेदारी से सीरिया पहुँचाया।फ़िलिस्तीन मे हो रही ज़ुल्म व बरबरियत के खिलाफ हमेशा आवाज़ बुलंद किया और जब वहाँ पे हज़ारों लोगों को शहीद कर दिया गया तब इधर ए॰एम॰यू॰ मे उनके लिए दुआ और क़ुरान ख्वानी का एहतेमाम किया।उस वक़्त के यू॰पी॰ के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुसलमानों को 18% रेजर्वेशन देने का वादा किया था जिसको पुरा नही किया फ़ैज़ुल हसन भाई ने उन्हें उनका वादा याद दिलाया और मुसलमानों के साथ किए गये विश्वाशघात को उजागर किया और AMU मे आने से रोक दिया और ख़ूब जम के उनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया ।
2 साल पहले जब कासगंज मे दंगे हुए और मुसलमानों को घरों से निकाल के मारा जा रहा था उसके लिए सोशल मीडिया से लेकर एलेक्ट्रानिक मीडिया हर जगह आवाज़ उठाई और वहाँ के घायलों को अपनी जेब ख़र्च से लगभग 20 लोगों का AMU मेडिकल क़ालेज़ मे इलाज करवाया।बटला हाउस इनकाउंटर के ख़िलाफ़ हमेशा  आवाज़ उठाते रहे और उसके लिए कई बार जंतर मंतर पर धरना दिया और हुकूमत को ललकारते रहे । अलीगढ़ शहर मे जब बेक़सूर वसीम और आशू की दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी और पुलिस द्वारा उनके घर वालों पर दबाव बनाने की कोशिश की गयी तब वहाँ फ़ैज़ुल हसन भाई ने जा कर उनके मुआविजे और मिट्टी होने से पहले कसूरवारों की गिरफ़्तारी की माँग की आख़िर में मजबूर होकर पुलिस ने फ़ौरन मुजरिमों को गिरफ़्तार किया ।
अलीगढ़ अतरौली कांड में फ़र्ज़ी इनकाउंटर मे मारे गये नौशद और मुस्तकीम के घर वालों को हक़ दिलाने के लिए सब से आगे आगे रहे और जब भगवा आतंकियों द्वारा किसी को उस गाँव मे जाने से जान मारने की धमकी मिलने लगी जिसका शिकार पंखुड़ी पाठक भी हुई थीं उस वक़्त अपनी मौत को दाँव पे लगा कर उस मामले को नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया के सामने लाया जिसमें उन पर फ़र्ज़ी मुक़दमे भी किए गये जिसका नतीजा ये हुआ कि उस वक़्त के एसएसपी को अलीगढ़ से हटना पड़ा ।और आज भी अपनी पीएचडी की सकालरशिप का आधा पैसा उनके परिवार की मदद के लिए दे रहे हैं ।
AMU के एक प्रोग्राम मे शहला राशिद को बुलाया गया था मगर उस से पहले उसके द्वारा नबी SAW ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बयान दिया गया जिसकी वजह से उसे ए॰एम॰यू॰ मे आने से रोक दिया गया और फ़ैज़ुल हसन भाई ने उस गुस्ताखी के लिए उस पर FIR करवाई।
मैंने जितना भी ब्यान किया ये सब वो बातें हैं जिसे मैंने ए॰एम॰यू॰ में रहते हुए देखा है।मैंने हमेशा हर जाएज और हक़ की लड़ाई में सब से आगे पाया है जिसका नतीजा ये हुआ कि अब तक उनपर 73 मुक़दमे हैं
मगर इन सब के बावजूद न कभी ये डरे और ना ही  इनके क़दम पीछे हटे हाँ मगर इन्हें हौसला ज़रूर मिलता रहा ।हाल ही मे इन्हो ने शिवपाल यादव की पार्टी ज्वाइन की जिसमें उन्होंने  हर मामले को उठाया और हमेशा हक़ की बात की ।
आज कल फ़ैज़ुल हसन भाई बेगुसराय के क़द्दावर और मुस्लिमों के हमदर्द सांसद पद के उम्मीदवार डा० तनवीर हसन के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं और दिन रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं इंशाल्लाह कामयाब हो कर वापस आएँगे।
कुछ लोग अपने राजनीतिक फ़ायदे और अपनी Ideology के लिए उनकी मुख़ालिफ़त कर रहे हैं इस लिए मैंने सोचा कि उनके ये सारे काम जो उन्होने पिछले कुछ सालों मे किए उन्हें सामने लाना ज़रूरी है।इसपे भी मुख़ालफ़ीन बोलेंगे कि पैसे दिए गये हैं। बाक़ी आप समझदार हैं।

वासिफ नेहाल अंसारी (अलीग)
ए॰एम॰यू॰ अलीगढ़

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