शुक्रवार, 6 मार्च 2020

सच्चे हिन्दू और कट्टर हिन्दू में फ़र्क़ - प्रोफ़ेसर अजय तिवारी

सच्चे हिन्दू और कट्टर हिन्दू में फ़र्क़- प्रो. अजय तिवारी
नयी शुरूआत
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दिल्ली के आयोजित-प्रायोजित सांप्रदायिक ‘दंगों’ के बाद नयी तस्वीर उभर रही है।

यमुना विहार के सुभाष मुहल्ला में एक शिवमंदिर पूरी तरह सुरक्षित रहा, इसकी ख़बरें और तस्वीरें आयीं । साथ ही यह प्रेरणादायी सच भी कि वहाँ ३३ साल से साथ रह रहे हिंदू-मुसलमानों ने मिलकर उस मंदिर की रक्षा की। हालाँकि यहीं तीन मस्जिदें तोड़ी गयी थीं।

लेकिन ज़्यादा महत्वपूर्ण बात दूसरी है। मंदिर में हिंदू-मुसलमान मिलकर भोजन पका रहे हैं और बिना भेदभाव के साथ खा रहे हैं।

इसकी शुरूआत हुई दंगों से प्रभावित लोगों के लिए राहत कार्य से। जैसे मुसलमानों की ओर से राहत का काम शुरू हुआ और वह बिना भेदभाव के सभी की मदद के लिए तत्पर है, वैसे ही हिंदुओं की ओर से भी राहत के काम में कोई भेदभाव नहीं है। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक है दोनों का मिल-जुल कर भोजन पकाना, वह भी मंदिर में, और दूसरों को बाँटने के अलावा स्वयं साथ-साथ खाना!

पुजारी अंचल शर्मा सुबह का पूजा-पाठ करते हैं, आसिफ़ खान और पत्नी नुसरत सहायता के कामों का ज़िम्मा सँभालते हैं। अंचल पण्डित की माँ आश्वस्त हैं कि यहाँ के सभी मुसलमान मंदिर के लिए जान दे देंगे लेकिन हममें से किसी को नुक़सान नहीं होने देंगे।

इस तरह के विश्वास और भाईचारे के उदाहरण दिल्ली के मौजूदा दंगों में पहले की घटनाओं से बहुत ज़्यादा मिले। लेकिन नयी बात मिली खान-पान में हिंदू-मुसलमान का अंतर मिट जाना— साथ बनाना और साथ खाना। हम विश्वास करते हैं कि यह नयी शुरूआत हमारे समाज के अंतर्गठन को मज़बूत करेगी और साझेदारी की ऐसी पहलकदमियाँ देश भर में बढ़ेंगी। सांप्रदायिकता, नफ़रत, वहशत और अविवेकपूर्ण हिंसा से हम अपने समाज और देश को तभी मुक्त कर सकेंगे।
—अजय तिवारी

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