शनिवार, 13 जून 2020

दवा के साथ मोहब्बत के इंजेक्शन से सही होता है मरीज़ - डॉ. शैलेंद्र गंगवार

दवा के साथ मोहब्बत के इंजेक्शन से सही होता मरीज - डॉ. शैलेन्द्र गंगवार

पूरी दुनिया आज कोविड जैसी महामारी से जूझ रही है फिर भी अगर फ्रंट लाइन पर कोई इससे मुकाबला कर रहा है तो वो इस देश का कर्मठ डॉक्टर ही है, जिसके कारण देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या भी कम हुई है। 
पिछले लंबे अरसे से डॉक्टर शैलेन्द्र गंगवार मेरे गृह जनपद पीलीभीत में एक डॉक्टर से ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे है जनपदवासी आपके व्यवहार से बेहद परिचित है अक्सर आप अपने यहां आने वाले मरीज़ों से प्रेम, सहृदयता से बात करते है जिससे उनका आधा मर्ज़ तो डॉक्टर की सकारात्मकता देखकर ही ठीक हो जाता है दूसरी सबसे अच्छी खासियत यह है कि डॉक्टर साहब मरीज़ों से उनकी ही लोकल भाषा मे बात करते है जिससे दिल की बात दिल मे उतरती है मरीज़ को बात करके सुकून मिलता है वो अक्सर मरीज़ों के सम्पर्क में बने रहते है कोई भी ज़िले का बन्दा उनसे संपर्क कर सकता है वो फौरन उसकी परेशानी का निराकरण करने का प्रयास करते है। कभी भी कोई ऐसा समय नहीं आया किसी भी मरीज़ या फिर सज्जन ने उनकी प्रोफेशनल और सामाजिक कार्यो को लेकर आलोचना की हो बल्कि उनके व्यवहार का लोहा उनके राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी भी मानते है अगर कोई रास्ते मे या फिर फोन से उनसे संपर्क करता है तो वो सामाजिक जीवन से रिलेटेड उनका मार्गदर्शन करते है, अब तक ना जाने कितने लोगों को निःशुल्क इलाज कर चुके है लेकिन यह बातें कहने की नहीं होती है क्योंकि वो प्रचार नहीं करना चाहते बल्कि जिस समाज ने उन्हें एम.बी.बी.एस और सर्जन बनाया है उसको अपने अच्छे कार्यो से वापस करना चाहते है क्योंकि वो मानते है मै जिस प्रोफेशन में हूं, चाहूं तो बहुत धन एकत्रित कर सकता हूँ लेकिन क्या फ़ायदा जब आप समाज के काम ना सके, वो धन के साथ साथ समाज को रास्ता भी देने का कार्य कर रहे है। 
कभी कभी उनके साथ बैठना हुआ तो वो बहुत हल्के-फुल्के मूड में बात करते है किसी कॉमन इंसान को ऐसा महसूस ही नहीं होगा कि यह कोई सर्जन है बल्कि ऐसा महसूस होता है यह सच मे हमदर्द इंसान है जो इंसानियत का काम करने के लिए बना है, जब डॉक्टर साहब से मैंने पूछा आप शहर के जाने-माने अच्छे डॉक्टर है तो आपको राजनीति में आने की क्या आवश्यकता है इसके जवाब में उन्होंने कहा मुझे पैसा कमाने या भृष्टाचार करने के लिए राजनीति में नहीं आया हूँ बल्कि मैं  समाज और शहर के पिछड़े हुए हालात को सही रास्ता दिखाने के लिए प्रयास कर रहा हूँ, मैं चाहता हूं कि जिस प्रकार मैं इस छोटे से जिले से निकलकर सर्जन बन सका ठीक ऐसे ही जिले के टैलेंट को देखकर उनकी मदद करके ज़्यादा से ज़्यादा डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस और दूसरे प्रोफेशन में भेज सकूं दरअसल मैं अपने जीवन मे एक चैन बनाना चाहता हूं कि जो मैं करूँगा या कर रहा हूँ वो लोग भी ऐसे ही मिशनरी बने समाज को नया रास्ता दिखाए, गरीबो, मज़दूरों, असहाय, पिछडो की आवाज़ बनकर उन्हें उनका अधिकार दिलाए, जब हम एक लाइन क्रिएट करने में सफल हो जाएंगे तो धीरे धीरे यह काम बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा हमारा जिला दूसरे जिलों से पिछडेगा नहीं बल्कि उनसे ज्यादा विकास करेगा और हम सबसे आगे होंगे। 
जब उनसे मैंने दूसरा सवाल किया कि देश मे इतनी सांप्रदायिकता फैल रही है फिर भी आप इंसानियत की बात कर रहे हो? इस सवाल के जवाब में थोड़ा सा ठिठक कर बोले कुछ लोग अपने राजनैतिक हित तो साध सकते है लेकिन कई पीढ़ियों को बर्बाद कर देंगे जो एक सभ्य समाज के लिए सही नहीं है, मैं सबसे ज्यादा धन्यवाद अपने जिले के जागरूक लोगो का करता हूँ जिन्होंने कभी दंगा नहीं होने दिया और इंसानियत को ज़िंदा रखने का प्रयास ज़ारी रखा। मुझे उम्मीद भी है कि आने वाले समय मे हम इंसानियत को ही सपोर्ट करेंगे और जो लोग नफ़रत की बात करते है उनको हरा देंगे। 
डॉ. शैलेन्द्र ने अपने प्रोफेशन से बहुत मोहब्बत की उससे भी ज्यादा कहीं समाज के पिछड़े तबके के लिए समय समय पर मोहब्बत का इज़हार भी किया।
डॉ. शैलेन्द्र ने बताया कि बेशक मेरी जीविका दूसरो की बीमारी पर निर्भर करती है यह तो विधि का विधान है फिर भी कोशिश यही रहती है कि कोई भी मेरे पास रोता हुआ आये और वो हंसकर जाए तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होती है दिल एकदम प्रफुल्लित हो जाता है। आखिर हम लोग दूसरों को दुःखो को दूर करने के लिए प्रयासरत है कहा भी जाता है कि डॉक्टर दुनिया मे भगवान की भांति है वो अपने इलाज़ के माध्यम से दूसरों के दुखों को हर लेता है और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयत्न करता है। 
अगर आने वाले समय मे सब कुछ अच्छा रहा तो एक बार फिर से इस समाज और जिले के लिए सामाजिक काम करने का प्रयास करूंगा जिससे नागरिको के हक़ और अधिकार मिल सके

अकरम क़ादरी
पॉलिटिकल एनालिस्ट, फ्रीलांसर

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