सोमवार, 23 नवंबर 2015

धर्म से षड्यंत्र



                      धर्म से षड्यंत्र
                                                            अकरम हुसैन
वर्षो पुरानी सभ्यता से चली आ रही हमारे देश की संस्कृति तथा उस संस्कृति से हमारे देश में व्याप्त भाई-चारा आपसे मेलभाव तथा एकता का बोलबाला रहा है .हमारी संस्कृति ही है जिससे देश के समस्त नागरिको को एक धागे में माला की तरह पिरोये रखा है हम सब देशवासी एक दुसरे के सुख दुःख में बराबर के भागी रहते थे. क्यूंकि उस समय देश की आर्थिक ,राजनैतिक ,सामाजिक तथा धार्मिक विचारधारा सामान थी ,सभी लोग भिन्न भिन्न धर्मो के होते हुए भी समान सम्मान करते थे .सभी देवी देवताओ को भी आदर की दृष्टी से देखते थे ,मगर पिछले कुछ दशको से देश में षड़यंत्र रचने का कार्य प्रगति पर है और वह इस पूरे देश में कैंसर की भांति फ़ैल रहा है .इस षड्यंत्र के पीछे केबल उनका व्यक्तिगत लाभ ही होता है. आखिर यह कौन लोग है , जो भावनात्मक बातें करके धर्म का व्यापार करते है और धर्म के आधार पर समाज के हर तबके को लूटने का कार्य करते है ,अपना स्वार्थ पूर्ण हो जाने पर यह लोग जनता की आँखों में धूल झोक कर सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं दिखाई देते है आखिर कौन लोग है, यह जानने की इच्छा आज हर एक उस नागरिक की है जो देश के संविधान और देश से अटूट प्रेम करता है ,आजकल देश के ज्यादातर भू भाग में धर्म के रंग में रंगे सियार घूम रहे है . वह धर्म जैसे पवित्र नाम को लेकर अपने व्यक्तिगत लाभ को साधने की पुरजोर कोशिश भी कर रहे है जनता की अज्ञानता और भावुकता के कारण यह रंगे सियार कही न कहीं कामयाब भी नज़र आ रहे है .
                       यदि हम इतिहास के कुछ पन्नो को पलटे तो देखते, है कि रावण जैसा व्यक्ति भी इनसे कम बुरा प्रतीत होता है क्यूंकि कहा जाता है रावण अपने दस मुंह से बोलता था .लेकिन हर मुंह से एक ही बात बोलता था मगर आज तथाकथित देशभक्त मोदी सरकार और उसके पीछे खड़े संघ परिवार के अनेक मुंह है और सब अलग अलग बातें एक साथ बोलते है जैसे कोई कहता है छार बच्चे पैदा करो तो कोई उससे भी आगे बढकर कहता है दस बच्चे पैदा करो तथा दूसरा सबसे बड़ा उदाहरण वर्तमान में गोउ माता को लेकर हो रही राजनीति है उसी पार्टी और संघ विचारधारा के लोग गोउ मांस खाने को मना करते है तथा कुछ कहते है हम तो खाते है - जिसको जो करना है करले .आज देश के जागरूक और शिक्षित लोगो को भी इस मौजूदा केंद्र सरकार के बारे में सोचना पड़ेगा कि आखिर इनका दृष्टिकोण काया है ? देश को चलाने की इनकी क्या नीति है ? जिस नाम पर देश के बुजुर्गो ,नवयुवको , और किसानो ने अपना मत दिया था .आज वह अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है . चुनाव के समय जिस प्रकार से इस पार्टी के नेता देश की मनोवैज्ञानिकता को समझकर भाषण बाज़ी कर रहे थे .आज वह पूरी तरह से तहस नहस हो चुकी है . भाषणों में नवयुवको को रोज़गार और तमाम सुविधाय देने का वादा किया गया था .वह आजकल खोखले साबित हो चुके है .इसके बाद संघ विचारधारा ने लोगो को धर्म के नाम पर ठगा था .वह भी अपने आपको असहाय महसूस कर रहे है क्यूंकि लोगो का ध्यान बाँटने और उन्हें अपने असली इरादों के बारे में पूरी तरह भ्रम में डालने का यह इनका पुराना कारगार नुस्खा है .चुनाव के पहले से ही यह खेल ज़ारी था - जैसे उत्तर प्रदेश के भिन्न -भिन्न भागों में सांप्रदायिक दंगे तथा सत्ता की लोलुप्सा . सत्ता में आने के बाद चतुराई के साथ जो खेल आज अल्पसंख्यक ,दलित और आदिवासियों के साथ खेलला जा रहा है वह बहुत ही निंदनीय है क्योंकि किसी को धर्म के नाम पर सताया जा रहा है तो किसी को जाति के नाम पर, आदिवासियों को उनकी ज़मीन के चक्कर में आज आज केंद्र सरकार अपने पूंजीपति आकाओ को खुश करने के लिए उनकी जामीनो पर आधिग्रहण किया जा रहा है .इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश विकाश की नहीं ओर नहीं बल्कि विनाश की ओर अग्रसर हो रहा है .
                  एक ओर नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहते है मेल मिलाप और आपसी झगडे मिटाकर देश को विकास की ओर ले जाना है .और अपने आपको उदारवादी एवं सबको साथ लेकर चलने वाला दिखने की हरचंद नाकाम कोशिश कर रहे है ,दूसरी तरफ उन्हीं की सरकार के सांसद और संघ के लोग सांप्रदायिक विष फैलाने तथा धार्मिक आधार पर धुव्रीकरण के तरह तरह के हथकण्डे अपनाते है जैसे वर्तमान में सूर्य नमस्कार और योगा यह षड्यंत्र रचने का सबसे बड़ा कारण देश के दो सबसे बड़े हिन्दू बहुलवादी राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में चुनाव के कारण फिर से नफरत और मानसिक साम्प्रदायिकता की राजनीति करके वोटो की फसल काटकर सत्ता में वापसी करना है .
                 इतिहास ,शिक्षा और संस्कृति के पुरे ढांचे के भगवाकरण करने के क़दमो से लेकर ज़मीनी स्तर घनघोर साम्प्रदायिकता और झूठे प्रचार में सरकार और संघ प्रचारक अलग अलग लगे हुए है .मोदी देश दुनिया में घूम घूम कर लगातार विकास की बातें कर रहे है ,वे इतना विकास विकास चिल्ला रहे है कि व्यंग्यकारों ने उनको 'विकास के पापा' के नाम से संबोधित करना शुरू कर दिया .वे लगातार देश की जनता को विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे है कि एक बार विकास की " आंधी " या विकास की गंगा (जो चाहे समझ लिजिए ) चली नहीं कि सारी समस्याए छूमन्तर की तरह उड़ जाएगी .लेकिन उनको मालूम नहीं है कि विकास के लिए देश में सांप्रदायिक सोहार्द, अमन और समानता  के साथ साथ आधारभूत संरचना का होना ज़रूरी है .जो अब तक देश की सबसे बड़ी कमी रही है ना ही वर्तमान सरकार  की कोई इस मुद्दे पर कोई दूरदर्शिता परतीत हो रही है वो तो केबल धर्म का नाम लेकर आपसी मेलभाव ,एकता और भाईचारे को नष्ट करने के लिए बार बार प्रयत्न कर रही है क्यूंकि उसका मुद्दा केबल हिंदुत्व है वो भी धर्म के सच्ची विचारधारा के लिए नहीं बल्कि सत्ता को पाने के अहंकार के कारण ही वो बार बार धार्मिक भावनाओ के षड्यंत्र को रच रही है जिससे देश के सोहार्द को बहुत नुक्सान होता है और बार बार मानवता का क़त्ल करने की साजिश रची जाती है . क्योंकि उनको मालूम है सत्ता तक पहुचने का सबसे सस्ता और सीधा रास्ता यही है .
                       देशभर में सुनियोजित सांप्रदायिक तनाव भड़काने और नियंत्रित दंगे फसाद करने की रणनीति भी धर्म के सहारे जारी है जिसको संचालित करने का कार्य पारंगत तरीके से अमित शाह जैसे लोग कर रहे है , जो कि गुजरात से लेकर देश के अन्य भागो में करने के लिए माहिर है . यदि धर्म के साथ हो रहे षड्यंत्र को रोका नहीं गया तो देश का भविष्य अँधेरे में है .इस कार्य को करने के लिए देश का नौजवान आगे आये और देश के भविष्य के साथ साथ आने वाली पीढियों के बारे में सोचे !
       सांप्रदायिक दंगो की खेती धार्मिक ठेकेदारों के लिए खाद एवं उर्वरक का कार्य करती है, अगर धार्मिक अल्पसंख्यक ,दलित समाज के लोग मिलकर सांप्रदायिक रूपी खाद एवं उर्वरक धार्मिक ठेकेदारों को देना बंद कर दे तो इन ठेकेदारों की यह ज़हरीली लहलहाती खेती सूख जाएगी एवं धर्म के ठेकेदारों यह सामाजिक असमानता वाली भूमि उसर-बंज़र हो जाएगी भारत-भूमि की उर्वरक शक्ति को बचाने के लिए धार्मिक ठेकेदारों को नष्ट करना बहुत ही आवश्यक हो चूका है . याद रखे तभी भारत की भूमि में  समरसता , मानवता के बीज नवांकुर होंगे जो मानवता ,एकता समरसता तथा प्रेम-सोहार्द से लबालब भरे होंगे और भारत भूमि का मान सम्पूर्ण विश्व में पुनः स्थापित होगा ........
                                             अकरम हुसैन
                                             पीएचडी  ( हिंदी )
                                          अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (अलीगढ़)
                                          whtsapp 8791633435
                                          akramhussainqadri@gmail.com

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