रविवार, 13 अगस्त 2017

वीडियोग्राफी और मुस्लिम राष्ट्रभक्ति का टेम्परेचर

पिछले तीन चार साल से किसी भी राष्ट्रीय त्योहार पर बार बार बीजेपी सरकार यह क्यो निर्देश जारी करती है कि मदरसों में यह होना चाहिए, वो होना चाहिए दरअसल यह देश के मुसलमानों की देशभक्ति का टेम्परेचर नापना चाहते है और कुछ बेवकूफ अल्पसंख्यक इसको उनको दिखाबे के तौर पर सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और वीडियो बनाकर पोस्ट करते रहते है जोकि सबसे खतरनाक है आखिर मुस्लिम ही क्यो अपनी देशभक्ति साबित करे जबकि आरएसएस ने तो 52 साल के बाद राष्ट्रीय ध्वज को अपने नागपुर कार्यालय में फहराया है और देश की आज़ादी में भी इस संगठन का कोई योगदान नही है बल्कि इन्होंने ही अंग्रेज़ो के सामने अपने माफीनामे दिए है और देश के क्रांतिकारी नौजवानों को फाँसी के लिए अनेक बार झूठी गवाही भी दी है
जिस धर्म के आलिमो ने धार्मिक मान्यताओं के कारण सबसे पहले देश की आज़ादी के लिए फतवा दिया था 1857 में सबसे पहले मुस्लिमो ने ही आज़ादी के लिए बिगुल बजाया था
वो चाहे बहादुर शाह ज़फ़र हो या फिर कुछ दशकों पहले गुज़रे वीर अब्दुल हमीद ही क्यो ना हो।
आजकल कुछ फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी सरकारों ने उनपर तोहमदे लगाना शुरू कर दिया है और उससे ज्यादा मज़ाक की बात यह है कि मुस्लिम लोग भी अपनी देशभक्ति को दिखा रहे है जबकि हुब्बल वतनी दिखाने के लिए नही है बल्कि दिल से मानने का नाम है जबकि मुस्लिम इस देश के लिए हमेशा से वफादार थे और रहेंगे।
देश के अल्पसंख्यकों से अपील करता हुँ कि वो राष्ट्रगान भी गाये, झण्डा भी फहराए लेकिन इन फ़र्ज़ी राष्ट्रवादियों के लिए ना ही वीडियो बनाये और ना ही अपने सोशल मीडिया पर उसको वायरल करे क्योंकि उनको अपनी देशभक्ति दिखाने की ज़रूरत नही है । देशभक्ति दिखाने की ज़रूरत उनको है जो आज़ादी से लेकर आजतक देश को लूट रहे है साम्प्रदायिकता को फैला रहे है, देश मे मानसिक साम्प्रदायिकता चरम पर है मानवता बहुत हद तक खत्म होती जा रही है जिसको बचाना आज प्रत्येक देशवासी का काम है

जय हिन्द, जय भारत
हिंदुस्तान ज़िंदाबाद
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान

#समी_क़ादरी

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