गुरुवार, 9 नवंबर 2017

संकट में प्रवासी पक्षी - मीनू बरकाती

संकट मे प्रवासी पक्षी

प्रवासी पक्षी भी संकट मे घिर गये है।ठंडे देश साइबेरिया से हज़ारो मील दूरी तय करके हर साल भारत की सरजमीं को सजदा करने वाले प्रवासी  पक्षियों के प्रति न तो वन विभाग का महकमा गंभीर है और न ही पक्षियों के शिकार पर अंकुश लगाया जा रहा है।चिड़ीमार साइबेरियन पक्षी का शिकार करने के बाद नेपाल आदि जगह मे अच्छे भाव मे बेच रहे है।
साइबेरिया का मौसम सर्दियों मे पक्षियोे के रहने लायक नही रहता है।नवम्बर शुरू होते ही बर्फ जमने लगती है तब यह साइबेरियन पक्षी प्रवास के लिये रुख करते है।उत्तर प्रदेश के तराई क्षेञ की ओर कई दिनों की हजारों मील लम्बी याञा करने के बाद साइबेरियन पक्षी मु्ख्यत:पीलीभीत, इलाबाद और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों को अपना आशियाना बनाते है।इन पक्षियों की नजरे बड़ी तेज होती है और उड़ते समय वे  इनका बखूबी इस्तेमाल करते है।रास्ते मे पड़ने वाले विजुअल लैेडमाकर्स जैसे पहाड़, नदियां, तालाब आदि की सहायता से अपना रास्ता तलाश करते  है।अब से करीब एक दशक पहले तक तो साईबेरिया सरकार इन पक्षियों के पैरों में छल्ले नुमा ट्रांसमीटर लगाती थी ताकि यह पता लग सके कि ये पक्षी कब और कहा किस स्थिति में है तथा कितनी दूरी याञा करके वापस लौटते है? साइबेरिया वापस होने पर इनकी जांच होती थी लेकिन अब काफी सालों से पक्षियों के पैरों मे छल्ले दिखाई नही देते है।प्रवासी पक्षियों की परेशानी की वजह जलवायु परिवर्तन भी है।ग्लोबल वार्मिंग के लिये हम भी कम जिम्मेदार नही है। सरकार एवं वन विभाग को इन मेहमान पक्षियों के शिकार को रोकना चाहियें।
हमारी भी जिम्मेदारी है।इन पक्षियों को बचाने के लिये हम सब को जागरुक होना चाहियें।अगर किसी को साइबेरियन पक्षियो का शिकार करता हुआ कोई दिखे तो वन विभाग को सूचना फौरन दे।

मीनू बरकाती शेरपुर कलां पुरनपुर पीलीभीत
9759227686

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