देश की एक ऐसी पार्टी जिसकी शुरुआत ही नैतिकता, संस्कार, संस्कृति से हुई है आज उसमे नैतिकता जैसे शब्दों का भारी अकाल आ गया है। पिछले दिनों दिवंगत हुए पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष कवि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु से लेकर शव यात्रा हो या फिर उनके अस्थि विसर्जन को लेकर जो फजीहत हुई है उससे पार्टी की छवि धूमिल करने में पार्टी के नेताओ से लेकर कार्यकर्ताओं तक की पोल खुल गयी जो एक अच्छी राजनैतिक पार्टी के लिए लंबे समय तक चल पाने के लिए शुभ संकेत नहीं है।
पिछले कुछ समय से देश की मीडिया टी. वी डिबेट में जिस तरह से पार्टी का पक्ष रख रहे प्रवक्ताओं की बोली उनके हाव- भाव से भी पार्टी की नैतिकता की पोल खुल ही चुकी थी, लेकिन उस पोल पर आखिरी मोहर अटल जी के दिवंगत होने पर लगा दी गयी जिससे यह पार्टी भले ही सत्ता का मज़ा चख रही हो लेकिन नैतिकता बहुत हद तक जा चुकी है।
अटल जी के अंतिम संस्कार के समय जिस तरीके से देश का प्रमुख बैठा था, तथा उनके ही साथ पार्टी अध्यक्ष की बैठने की शैली से लग रहा था कि इनको सच मे दुःख है या नही इसको टीवी स्क्रीन के दर्शकों ने भलीभांति देखा है, उसके अलावा टीवी पर कई ऐसी रिपोर्ट्स आई जिसमे पता लगा कि अस्थि विसर्जन के समय किस प्रकार खिलखिलाकर नेता और कार्यकर्ता विसर्जन कर रहे थे उससे ज़ाहिर हो रहा था कि अटल जी की मृत्यु से इनको कोई दुःख नही है बल्कि यह बहुत खुश है और फ़ोटो खिंचाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे है जिससे पार्टी की विचारधारा, नैतिकता, संस्कार और संस्कृति पर सेंधमारी हो चुकी है जो आने वाले समय के लिए पार्टी के हिसाब से अच्छा नही होगा।
जिस तरह से मध्यप्रदेश, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ के नेताओ की अस्थि के सामने की तस्वीरे आई है सच मे वो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने प्रिय नेताओ को किस प्रकार उनके विचारों का रोज़ गला घोंट रहे है। अटल जी की अंतिम यात्रा में पहुंचे भगवाधारी स्वामी अग्निवेश पर जिस प्रकार हमला हुआ यह भी पार्टी की विचारधारा और संस्कारो के साथ खुलेआम खिलवाड़ है इससे भी पार्टी की प्रतिष्ठा को संभवतः नुकसान ही होगा। जबकि माना यह जाता है कि बीजेपी भगवा वस्त्र धारण किये हुए व्यक्तियों का बहुत सम्मान करती है लेकिन उन्होंने क्यो ऐसे बुरे समय पर स्वामी अग्निवेश पर हमला किया जब पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ता मृत्यु शैय्या पर जा चुके हो, क्या उनकी आत्मा इस कुकृत्य से खिन्न नही हुई होगी आज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं कार्यकर्ताओं को भी इस विषय पर गहनता से सोचना चाहिए।
इस पूरी अस्थि कलश यात्रा की पोल अटल बिहारी वाजपेयी जी की भतीजी ने खोलकर रख दी उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि यही वो लोग है जिन्होंने अपने वयोवृद्ध नेता को पिछले 9 वर्षों से पार्टी के पोस्टर, फ्लेक्स से ग़ायब रखा अब उनका देहावसान हो जाने पर किस प्रकार 2019 की राजनीति को भुनाने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 4 वर्षों से भाजपा केंद्र सरकार और उनकी राज्य सरकारों को बचाने के लिए अब अटल जी को सामने लाकर दोबारा 2019 की सत्ता की वैतरणी पार करना चाहती है, जो मुद्दे 2014 में भाजपा ने उठाये थे उन सभी मुद्दों पर लगभग फेल हो चुकी सरकार को अब केवल अटल जी और उनके जीवन मूल्यों का ही सहारा है वरना इस पार्टी को सत्ता में दोबारा घुसने नहीं देगी जनता।
भारतीय जनता पार्टी को अब पुनः यह विचार करने का समय है कि जिस पार्टी को बनाने के लिए अटल जी ने कभी नैतिकता, संस्कृति, लोकतंत्र, संस्कार से समझौता नही किया क्या उनकी पार्टी अब दो कदम भी उनके सिद्धांतो पर चल रही है अगर चल रही तो बहुत अच्छी बात है और नहीं चल रही है तो विचारधारा को ज़िन्दा रखने के लिए मानवता को ज़िंदा करना होगा पार्टी को बचाना होगा । जब स्वस्थ लोकतंत्र होगा तो निश्चित ही देश मे विकास की व्यार बहेगी, देश उन्नति के शिखर पर अग्रसर होगा ।
जय हिंद
जय भारत
जय किसान
अकरम क़ादरी
akramhussainqadri@gmail.com
Bilkul sahi bhai jaan inhe Atal ji ka gum nahi apni popularity ki khushi h....
जवाब देंहटाएंbahut achha likha sir
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