बुधवार, 29 अगस्त 2018

एएमयू : हिन्दू बहन को मुस्लिम भाइयों ने दिया कन्धा - अकरम क़ादरी



अभी दो-तीन दिन पहले ही रक्षाबंधन जैसा भाई-बहन के प्रेम का त्योहार हुआ है, फिर भी आजकल इतनी जल्दी धागों का रंग कच्चा पड़ जाता है यह नही मालूम था ।
एएमयू की दर्शनशास्त्र विभाग की शोधार्थी हेमा मेल्होत्रा की आकस्मिक  देहांत हो गया .... जिसका कारण उनकी दोनों किडनियाँ फेल हो जाना था ।वह पिछले दो वर्ष से डाइलाईसिस से जीवित थीं । यह ख़बर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं के लिए शोक का विषय है, जब उनके निधन की सूचना उनके विभाग के वरिष्ठ शोधार्थियों को मिली कि उनकी सहपाठी का देहांत हो गया है तो वह सब उनके अंतिम मुख दर्शन के लिए आनन-फानन में अपनी बहन के घर जनकपुरी (अलीगढ़) पहुँचे। जब उंहोंने वहां पर देखा कि उनके पास-पड़ोस के लोग भी बाहर निकल कर नही आए हैं और मेहरोत्रा परिवार में केवल उनके एक बुजुर्ग पिता और उनका एक पुत्र है जिसकी मानसिक स्थिति सही नही है दूसरी तरफ पिता जी की हालत इस क़ाबिल नहीं है जो वो कुछ कर सकें। इन्हीं सबके मद्देनजर सभी हिंदू-मुस्लिम भाईयों ने मिलकर किसी पड़ोस के पंडितजी से रीति-रिवाज को पूछकर अपनी बहन के लिए अर्थी तैयार कराई और जो भी धार्मिक कर्मकाण्ड होते हैं उनको पूरा किया उसके बाद उनकी अर्थी को ले जाकर अंतिम संस्कार की क्रिया को भी निभाया, यह सब देखकर शहर के अनेक लोगों को जब हिंदुस्तान अखबार के माध्यम से पता लगा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। यह सब पुनीत कार्य एएमयू के दर्शनशास्त्र के शोधार्थी मोहम्मद राशिद, सारिम अब्बास, शाहीदुल हक़, मुज़ाहिदुल हक़, नासिर, अहमद शाह, एजाज़ अहमद, मंसूर आलम, सलमान सिद्दीक़ी, अतिया लतीफ़ और निदा फातिमा आदि ने अंजाम दिया है जिसके लिए उनकी समस्त मानवता ऋणी रहेगी।
पिछले दिनों से जो लोग एएमयू को वोटबैंक की राजनीति का निशाना बना रहे थे उनके मुंह पर यह इंसानियत का जोरदार तमाचा था। जिसकी गूंज उनके चेहरे पर तो नहीं हुई होगी लेकिन उनके हृदय में एएमयू छात्र- छात्राओं के प्रति नफ़रत जरूर कम हुई होगी । जबकि यह सब नफ़रत पैदा करने वाले कुछ नेता और उनके किराए के गुण्डे थे जो हमेशा कुछ भावनात्मक मुद्दे उठाते रहते हैं और ऐसे संस्थान को बदनाम करते हैं जो हमेशा से मानवता, देशप्रेम का जीता जागता उदाहरण रहा है। जिस वक्त यूनिवर्सिटी को विलेन बनाने की कोशिश चल रही थी उसी वक़्त अनेक हिन्दू छात्र-छात्राओं ने सहज रूप से आगे बढ़कर अमुवि की साँझी- सामासिक सँस्कृति और हिंदू-मुस्लिम एकता को अपने उद्बबोधनों से स्पस्प किया था।
जो भी हमारे दुश्मन है हम अलीग उनको क़लम से भी जवाब देने में सक्षम है और अपनी मानवतावादी दृष्टिकोण से भी।
एएमयू ही हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल बनकर आगे बढ़ रहा है जो अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओ को एएमयू की आड़ में पूरा करना चाहते हैं उनके लिए यह संवेदनात्मक सौहार्द करारा जवाब है, जब तुम एएमयू पर कोई हिन्दू-मुस्लिम डिबेट चलाने के लिए नफ़रत की राजनीति करते हो तो हिन्दू छात्र-छात्राएं तुम्हे मुँह तोड़ जवाब देते है।
जब कोई हिन्दू भाई-बहन बीमार होता है या उसका देहांत हो जाता है तो एएमयू के भाई उनको कंधा देते है.....नफ़रत करने वालो आपकी नफ़रतों का जवाब यह मोहब्बत से कल भी देते थे और आज भी दे रहे हैं....अलीगों पर कोई प्रोपेगैंडा करने से पहले नेताजी और नेताओं के 100₹ वाले गुण्डों अच्छी तरह से सोच समझ लेना ....

जय हिंद
जय भारत

अकरम हुसैन
akramhussainqadri@gmail.com

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