शनिवार, 25 अप्रैल 2020

कोरोना से कैसे लड़ रही है पुलिस- अकरम क़ादरी

कोरोना से कैसे लड़ रही है पुलिस - अकरम क़ादरी

कहा जाता है कि 'पुलिस की ना दोस्ती अच्छी ना ही दुश्मनी' बात भी सही है क्योंकि दोस्ती घर का निजी मामला है और दुश्मनी भी लेकिन पुलिस तो जो कार्य करती है वो संविधान के दायरे में रखकर करती है वो किसी भी प्रकार का ऊंच-नीच, भेदभाव नहीं करती है अगर उनके ऊपर कोई राजनैतिक दबाब ना हो तो वो कुछ भी कुकर्म करने ना दे। 
देश के नोजवान जब सिंघम, राउडी राठौर, दबंग जैसी फिल्में देखते है तो उनके सामने पुलिस का एक आदर्शवादी रूप देखने को मिलता है और वो भविष्य में उस जैसा बनना भी चाहते है दरअसल ज्यादातर पुलिस वाले गांव देहात के ही रहने वाले होते है जो सही से आदर्शवाद को समझते भी है ।
वर्तमान समय मे कोरोना जैसी भयानक बीमारी का सामना देश कर रहा है, इस कठिन समय मे डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सेस हॉस्पिटल के अंदर लड़ रही है तो दूसरी तरफ भारतीय पुलिस सड़को पर खड़े होकर लोगो को गाना गाकर जागरूक कर रही है और इस महामारी की भयावाह स्थिति से अवगत भी करा रही है उसके अलावा पागल, बूढ़े एवं दिव्यांगों को जगह जगह खाना भी मुहैया करा रही है। उसके अलावा देश मे दूसरी सबसे भयानक बीमारी फैल रही है मानसिक साम्प्रदायिकता से भी लड़ रही है क्योंकि कुछ राजनैतिक षड्यंत्रकारी दूसरे सम्प्रदाय के लोगो को इस भयानक बीमारी का जिम्मेदार ठहरा रहे है जिसको पुलिस बार-बार खंडन करके सच दिखा रही है। उसके अलावा जो लोग बगैर किसी ज़रूरत के बाहर घूम रहे है उनको भी समझा रही है, डांट रही है जिससे इस महामारी का पब्लिक ट्रांसमिशन ना हो सके। अगर पब्लिक ट्रांसमिशन हो गया तो बहुत भयावह स्थिति में देश फंस जाएगा और देश मे लाशो का तहखाना बन जायेगा जो आज स्थिति अमेरिका, इटली जैसे देशों की हो रही है उससे बत्तर हो जाएगी क्योंकि हमा
रे पास इतने संसाधन नहीं है जितने संसाधन इटली और अमेरिका जैसे विकसित देशों के पास है इसलिए देश के ज़िम्मेदार जानते है पहले जनता को लॉक डाउन के माध्यम से घर पर ही रोका जाए उसके बाद उनकी कोरोना टेस्टिंग कराई जाए जिससे इस बीमारी से देश को निजात मिल सके। गवर्मेंट के इस कानून और एडवाइजरी को पुलिस ततपरता से लागू कराने के लिए वचनबद्ध है जिसके लिए उनको अनेक परेशानियों से भी गुज़रना पड़ रहा है।
आज जिस प्रकार से पुलिस सड़को पर नज़र आ रही है वो जनता की मित्र है वो अपनी जनता को इस बीमारी से बचाना चाहती है वरना इस मुश्किल समय मे जब सब अपने घर पर रुके है वो क्यों सड़को पर घूम रहे है उनको क्या ज़रूरत है वो स्वयं और स्वयं के आश्रितों को परेशानी में डालकर देश की जनता के लिए लड़ रहे है कुछ बेवकूफ उनको गलत समझकर हमला कर रहे है जिसकी जितनी कड़ी निंदा की जाए वो कम है। 
अभी कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर कई ऐसी तस्वीरें देखी है जब पुलिस अफसर अपने घर मे बाहर बैठकर खाना खा रहे है जैसे किसी बाहर के भिखारी को दिया जाता है। 
उसके अलावा अपने बच्चों तक से मिलने की सावधानी बरत रहे है वो किसी भी प्रकार से समाज को इस बीमारी में झोकना नही चाहते है बल्कि बचाना चाहते है। 
जितने भी कोरोना महामारी से मर रहे है उनके अंतिम संस्कार तक पुलिस को करना पड़ रहे है क्योंकि अगर कोई दूसरा बन्दा उनका अंतिम संस्कार करेगा तो हो सकता है वो वायरस दूसरे को भी इन्फेक्ट करदे और बीमारी अपना विकराल रूप धारण करले।
मेरी देश की समस्त जनता से हाथ जोड़कर आग्रह है कि वो इस महामारी में पुलिस और डॉक्टर का सहयोग करे और अपने देश की जनता की रक्षा करने में अपना योगदान दे। 
किसी भी जगह यह पुलिस के वीर निकले तो उनका हाथ जोड़कर अभिवादन करदे उनपर कुछ फूल बरसा दे जिससे उनका हौसला बड़े और वो अपने कार्य को मेहनत से करे। 
हमारी रक्षा करे।
अकरम क़ादरी
फ्रीलांसर
पॉलिटिकल एनालिस्ट

1 टिप्पणी:

  1. अति उत्तम विचार
    बहुत ही सुंदरता के साथ आने पुलिस विभाग की असली क़ुर्बानी को समाज मे लाने का कार्य किआ है

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