मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

कोरोना की जंग में शहीद होते डॉक्टर - अकरम क़ादरी

कोरोना की जंग में शहीद होते डॉक्टर - अकरम क़ादरी

जबसे दुनिया मे इस महामारी ने अपने पैर पसारे है तब से देश का हर ज़िम्मेदार नागरिक अपने अपने स्तर पर लड़ रहा है कोई सड़क पर लड़ रहा है तो कोई घर पर स्वयं को बंद करके लड़ रहा है, कोई बीमारी के साथ-साथ भूख से लड़ रहा है तो कोई हॉस्पिटल में खड़े होकर अपनी जान को जोखिम में डालकर लड़ रहा है। जबसे इस बीमारी की शुरुआत हुई है इसने कॉमन इंसान के अलावा है डॉक्टर्स को भी निगलना शुरू कर दिया है क्योंकि यह वो बीमारी है जो एक दूसरे में खुद ट्रांसफर हो जाती है और चौदह दिन में उसके लक्षण दिखना शुरू हो जाते है। चीन के वुहान शहरमे जो पहला डॉक्टर इस बीमारी की चपेट में आया था तो उसने पहले ही आलेख लिखकर इस बीमारी के बारे में सबको आगाह कर दिया था कि यह बहुत खतरनाक बीमारी है जो मरीज़ों के साथ-साथ डॉक्टर्स को भी निगल जाती है उसके साथ-साथ पैरामेडिकल स्टाफ़, नर्सेस की भी ज़िन्दगी खतरे में रहती है ना जाने कितने स्वास्थ्य विभाग से ताल्लुक रखने वाले लोग इस भयानक बीमारी की चपेट में आकर इस दुनिया को अलविदा कह गए उसके बाद भी कुछ मानसिक विकलांग लोग इस समय भी कुंठित मानसिकता का परिचय देते हुए भी अपनी नफरती एवं साम्प्रदायिक राजनीति का एजेंडा सेट करने में लगे है जिसको कुछ गोदी मीडिया के चैंनल और पत्रकार भी शामिल है जिनको आजकल व्यंग्य की भाषा मे पत्तलकार कहा जाता है अर्थात वो पत्रकार जिसकी पत्तल में कुछ टुकड़े, निवाले कुछ एजेंडा सेट करने वालो ने डाले हुए होते हैं। 
कोरोना वारियर्स में जहां पर एक एम्बुलेंस का ड्राइवर तक शामिल है, वहां पर सफाईकर्मी, सपोर्टिंग स्टाफ उसके अलावा पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सेज और दवा देने वाले मेडिकल वाले भी शामिल है जो सब एक समूह मिलकर एकता के साथ इस भयानक बीमारी से लड़ रहे है।
इस बीमारी में जो सबसे फ्रंट पर लड़ रहे है वो हमारे देश के जांबाज़ डॉक्टर्स ही है जो बिना अपनी जान की परवाह किए हुए इस पुनीत कार्य मे अपनी आहुति दे रहे है और देश को कोरोना मुक्त करने के लिए दिलो जान से लगे हुए है। 
अंग्रेज़ी अखबार दा हिन्दू के अनुसार 22 अप्रैल 2020 तक भारत मे 412 मेडिकल कार्यकर्ता कोविड 19 पॉजिटिव पाए गए है जिनमे अनेक डॉक्टर्स ने अपनी जान भी गवा दी है। जिनमे लगभग 156 नर्सेज, 96 डॉक्टर्स, 145 मेडिकल वर्कर्स, हॉस्पिटल स्टाफ 11 तथा 4 टेक्निकल स्टाफ भी शामिल है। इस कठिन परिस्थिति में भी डॉक्टर्स पर जनता के हमले भी हो रहे है फिर भी वो अपने कमिंटमेंट के लिए उदार है और देशसेवा में लगे हुए, कुछ राजनेताओ ने भी अशोभनीय टिप्पणी भी की है जबकि इस कठिन समय मे उनको हौंसला देना चाहिए उनकी दिक्कतों को दूर करना चाहिए फिर भी हमारे देश के डॉक्टर बगैर भेदभाव के जनसेवा में रात-दिन लगे हुए है। 
पिछले दिनों कोरोना से लड़ने वाले दो डॉक्टर्स के बारे में पढ़ा तो दिल भर आया है वो नोजवान डॉक्टर आजकल अपनी फॉर व्हीलर को ही अपना घर बनाये हुए थे जिसमें किताबे, कपड़े, टूथ पेस्ट, उसके अलावा कुछ हल्का फुल्का खाने का सामान।
कभी कभी अपने प्रिय बच्चों और अर्धांगनी को भी देखने जाते है उनको दूर से देखकर ही वापस अपने काम पर लौट आते है जिसको एक सच्ची समझ का व्यक्ति अगर देखेगा तो निश्चित ही उसका हृदय भावुकता और संवेदना से भर जाएगा और हो सकता है उनके इस कठिन कार्य को देखकर वो रो भी दे। 
इतना कुछ करने के बावजूद भी उनके लिए अच्छे मास्क, पीपीई किट का सही प्रबन्ध नहीं हो पा रहा है जिसको हमारे राजनेताओ को सोचना चाहिए और उनको उच्चस्तरीय सेवाओ से लैस करना चाहिए जिससे हम इस वैश्विक महामारी से निजात पा सके।
पिछले दिनों एक इटली से आई तस्वीर ने सभ्य समाज को रोने पर मजबूर कर दिया। पति-पत्नी दोनों ही कोरोना पॉजिटिव का इलाज कर रहे थे जब कुछ दिन पहले दोनों को मालूम हुआ कि घटिया किट के कारण वो खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गए है और जल्दी ही उनकी मौत हो जाएगी तो उन्होंने इच्छा जाहिर की हम दोनों एक बार मिलना चाहते है जब वो दोनों मिले तो उन्होंने एक दूसरे को चुम्बन किया जिस तस्वीर को देखकर दिल भर आया जबकि इटली जैसा देश दुनिया मे मेडिकल फैसिलिटीज में दूसरे नम्बर पर आता है वो भी इससे नहीं बच पाया वो अपने डॉक्टर को भी नहीं बचा पा रहा था तो इस भयावह बीमारी को समझते हुए सुरक्षा और सतर्कता ही बचाव है बगैर किसी महत्वपूर्ण काम से घर से बाहर न निकले और ना ही ऐसे ज़्यादा लोगो के साथ बैठे बल्कि अकेला में रहे और देश को सुरक्षित रखे बल्कि पूरे मानवजाति को बचाये।

अकरम क़ादरी
फ्रीलांसर &
पॉलिटिकल एनालिस्ट

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