सोमवार, 6 अप्रैल 2020

सुरीनामी भारतवंशियों से सीखना चाहिए भारत को वसुधैव कुटुम्बकम- प्रोफ़ेसर पुष्पिता अवस्थी


  • सुरीनामी भारतवंशियों से सीखना चाहिए भारत को वसुधैव कुटुम्बकम -प्रो. पुष्पिता अवस्थी

  • किसी भी सुदृढ लोकतंत्र की यह पहचान है कि वहां पक्ष और विपक्ष मजबूत होना चाहिए ना ही किसी का अंध समर्थन होना चाहिए और ना ही अंध विरोध यदि कोई अपनी बात कह रहा है तो
    उसकी बात को तर्क और वितर्क करके सोचना चाहिए नाकि उसको विपक्ष का समझकर कुतर्क करके मानवता को हानि पहुँचाना चाहिए यह सब कहने का तात्पर्य केवल इतना है इन सब बातों के गर्भ में कहीं ना कहीं मानवता छुपी हुई है जिसको पहचान कर हमें देशहित में सोचना चाहिए। वैश्विक स्तर पर अनेक यायावरी का जीवन जीने के उपरांत यही समझ बनी की हमारी संस्कृति, संस्कार, भाषा, मान्यताएं और परम्पराओ में वसुधैव कुटुम्बकम की सोंधी खुशबू पूरी दुनिया को महका रही है। सूरीनाम में भारतीय दूतावास में रहते हुए जब मैंने वहां पर भारतवंशियों के बीच साहित्यिक, सांस्कृतिक कार्य करना प्रारम्भ किया तो यह समझ मे आया कि सूरीनाम के भारतवंशियों में हमसे अधिक भारतीयता विधमान है क्योंकि वो वसुधैव कुटुम्बकम के सच्चे अर्थों में पुजारी है जो संस्कृति को अपना मानने में गर्व महसूस करते है एक तरफ वो रामचरितमानस को पढ़ते है तो दूसरी तरफ कबीर के दोहों, सवैया और रमैनी को गाते बजाते है। वहां लगभग 42 प्रतिशत भारतीय निवास करते है ना ही वो स्वयं को हिन्दू समझते है और ना ही मुसलमान वो स्वयं को भारतवंशी समझते है और सभी त्यौहार एकसाथ मिलकर मानाते है। शादी व्याह भी अधिकतर आपस मे ही करते है जिससे उनकी हिंदुस्तानियत की समझ वर्तमान के भारतीयों से अधिक प्रतीत होती है।
  • संसार भर में चीन को छोड़कर सभी देशों की यात्रा की है वहां की अधिकतर चीज़ों को समझने का प्रयत्न किया है लेकिन भारतीय संस्कृति को सबसे अद्वितीय पाया है। जब कहीं पर भारत का इण्डिया गेट और ताजमहल दिखता है तो मुझे अपने देश पर गर्व महसूस होता है।
  • वर्तमान समय मे पक्ष-विपक्ष ने जिस प्रकार से लोकतंत्र को समाप्त करने का घृणित कार्य किया है उससे मैं व्यक्तिगत तौर पर बहुत आहत हूँ। इसमें कोई शक नहीं है मैं कर्मकांडी ब्राह्मण हूँ। साई बाबा की पूजा करती  हूँ लेकिन मेरा धर्म किसी को गलत या निम्न समझने की आज्ञा नहीं देता है क्योंकि जैसा मुझे लगता है कि इस धर्म ने ही तो दुनिया को योग्य और श्रेष्ठता प्रदान की है।
  • अगर किसी को ज्यादा विस्तार से सूरीनाम के भारतवंशियों को समझना है तो मेरे 15 वर्षों के अथक प्रयासों से सृजित उपन्यास "छिन्नमूल" पढ़ लीजिये वहां की भारतीयता और यहां की हिंदुस्तानियत को समझ सकते है। आखिर फिर भी तो यह देश गांधी, विनोबा, सरदार बल्लभ भाई पटेल और मौलाना आज़ाद के सपनों का है, इसके बचाना हमारा कर्त्तव्य है।
  • जय हिंद
  • जय जगत
  • रामहरि
  • निष्पक्ष, निर्भय, निर्बेर
  • वंदेमातरम
  • प्रोफ़ेसर पुष्पिता अवस्थी
  • अध्यक्षा
  • आचार्यकुल संत विनोबा भावे
  • पवनार आश्रम
  • वर्धा एवं
  • संयोजक
  • हिंदी यूनिवर्स फॉउंडेशन
  • नीदरलैंड

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