बुधवार, 8 अप्रैल 2020

कोरोना से सरकारें लड़ रही है या जनता ? - डॉ. आज़र ख़ान

               कोरोना वायरस से इस समय पूरी दुनिया लड़ रही है या कहा जाए जूझ रही है। हर देश के डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना दिन रात मरीज़ों की ज़िंदगी बचाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। जिस प्रकार हमारे सैनिक दुश्मनों से बचाने के लिए अपने प्राणों को देश पर न्योछावर करने से डरते नहीं हैं, ठीक उसी प्रकार आज हर देश के डॉक्टर अपने देश के नागरिकों की ज़िंदगी बचाने के लिए अपनी ज़िंदगी की चिंता नहीं कर रहे हैं। डॉक्टर हमारे लिए किसी सैनिक से कम नहीं हैं। दुनियाभर में कोरोना से संक्रमित होकर मरनेवालों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, साथ ही इन मरीज़ों की जान बचाने में लगे डॉक्टर भी इस वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। इटली में अबतक सबसे अधिक डॉक्टरों की मौत कोरोना के संक्रमण से हो चुकी है। भारत में भी ये सिलसिला शुरू हो चुका है, लेकिन डॉक्टरों ने हार नहीं मानी है, वो बिना डरे हिम्मत के साथ अपना घर, परिवार, बच्चों को छोड़कर अपना फ़र्ज़ अदा कर रहे हैं। भारत जैसे देश में जहाँ डॉक्टरों के लिए भी उचित सुविधाएँ नहीं हैं, मीडिया के अनुसार सरकार इनके लिए हर तरह से सुविधाओं का प्रयास कर रही है। आज सभी धर्मों के लोग इन डॉक्टरों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं, साथ ही देश के नागरिकों के स्वस्थ होने और इन बीमारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए प्रयासरत हैं। कोई भी बीमारी न तो धर्म देखती है, न जाति देखती है। इस बीमारी से लड़ने के लिए सामाजिक और शारीरिक दूरी परमआवश्यक है। इसलिए देश के सभी मंदिर और मस्जिद में होनेवाले पूजा-पाठ एवं नमाज़ अपने अपने घरों में अदा करने को कहा गया है। हर धर्म के लोग इस मुसीबत से निजात पाने के लिए धर्म और विज्ञान दोनों को साथ लेकर चल रहे हैं। मुस्लिम समाज के लोग रात के 10 बजे अपनी-अपनी छतों से एकसाथ अज़ान पुकारकर देश और दुनिया की सलामती की दुआ कर रहे हैं, वहीं हिंदू समाज में भी घरों में पूजा-पाठ करके सभी के स्वस्थ रहने की प्रार्थना की जा रही है। ऐसे समय में जब एक मुसीबत हमपे पूरी तरह से हावी हो चुकी है, तो इससे लड़के के लिए हममें आशा और एकता का होना बेहद ज़रूरी है। एकता वो नहीं, जो एक जगह एकत्र होकर दिखाई जाती है। यह प्रदर्शन का समय नहीं है, एक-दूसरे की बात पर भरोसा करना, उसपर अमल करना भी एकता के दायरे में आता है। इसलिए सरकार द्वारा जो दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं, देशवासियों को उनपर पूरी तरह अमल करना चाहिए। आज समय बहादुरी दिखाने का नहीं, बल्कि कायरता दिखाने का है, वैसे तो कायरता में हमने कई रिकॉर्ड बनाए हैं, शायद इसीलिए यह समय लाया गया है कि यह सब सही होने के बाद समय के महत्त्व को समझकर हम नई ऊर्जा के साथ अपने-अपने काम में लग जाएँ। कोरोना तो एक न एक दिन चला जाएगा, लेकिन यह हम सबको जीवन जीने का सबक देकर जाएगा और उस सबक से हमें बहुत कुछ सीखना होगा। सृष्टि के निर्माण से अबतक मनुष्य प्रकृति को छिन्न-भिन्न ही करता आया है। आज नतीजा यह हुआ कि साँस लेने के लिए स्वच्छ आक्सीजन वातावरण में कम हो गई है, धरती का तापमान बढ़ गया है, जंगली जानवरों के रहने के लिए जंगल नहीं रह गए हैं, पशुओं और पक्षियों की संख्या निरंतर घट रही है। आज मनुष्य घरों में बंद है तो प्रकृति को फलने-फूलने का पर्याप्त अवसर मिल रहा है। इस विपदा के बाद जो नई दुनिया मनुष्य को मिलेगी, उसका मनुष्य को ध्यान रखना होगा। सवाल मजदूर, ग़रीब, बेसहारा पर आकर ठहर जाता है, उनके लिए देश के छात्र, नौजवान, घर-घर राशन पहुँचा रहे हैं, इस जंग में उनके योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। हर राज्य की सरकारों ने भी इनके लिए राशन-पानी का इंतज़ाम किया है। सरकार को चाहिए कि सबके तक ज़रूरत की चीज़ें पहुँच रही हैं, उसकी भी पड़ताल करे। मीडिया के लिए सिर्फ इतना कहना चाहूँगा कि तुम्हारा काम देश को जोड़ने का होता है, तोड़ने का नहीं। ये सब करने के लिए बहुत समय मिला है और आगे मिलेगा भी। इस भयावह समय में तो कम से कम बख्श दिया होता है। तुम चंद पत्रकारों ने सरकार की नाकामी को छिपाने का जो ज़िम्मा उठा रखा है, उसमें वही मनुष्य पिस रहा है, जिसकी तुम आवाज़ कहे जाते हो। सरकारों ने तो कभी स्वास्थ्य विभाग की तरफ़ नहीं ध्यान दिया, शिक्षा विभाग को नजरअंदाज़ किया, बेरोज़गारी के सामने अंधी हो गई। भ्रष्टाचार की आँधी में पंगु हो गई। सरकारों ने कुछ किया होता, तो इनमें इज़ाफ़ा नहीं कमी आती, लेकिन तुम चंद सिक्कों में बिके पत्रकार जनता की आवाज़ के स्थान पर नेताओं की बीन के सामने नाच रहे हो। इस समय इस महामारी से बचने और उसे हराने के तरीके जनता को बताने की जगह पर तुमने वही काम किया, जो तुम सालों से करते आ रहे हो। तुम दलालों और नेताओं से जनता हिसाब माँगेगी।

डॉ. आज़र ख़ान
युवा कहानीकार, आलोचक एवं पॉलिटिकल एनालिस्ट
पूर्व सचिव
शोध समिति अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

2 टिप्‍पणियां: