मंगलवार, 12 मई 2020

थर्ड जेण्डर को मुख्यधारा में लाने के लिए समाज और निजी क्षेत्र को आगे आना होगा- डॉ. लवलेश दत्त

थर्ड जेण्डर को मुख्यधारा में लाने के लिए समाज और निजी क्षेत्र को आगे आना होगा- डॉ. लवलेश दत्त
https://youtu.be/9ww_2vuj3Mo (फेसबुक लाइव पूरा सुनने के लिए इस यूट्यूब लिंक पर क्लिक कीजिए)


लॉकडाउन के चलते सभी प्रकार के साहित्यिक क्रिया कलाप रुक जाने से टेक्नोलॉजी ने उन क्रिया कलापों को ज़ारी रखने के लिए वरदान दिया है, फिर समय भी तो कभी रुकता नही है। निश्चित ही इस महामारी का अंत होगा। साहित्य जगत की चर्चित "वाङ्गमय त्रैमासिक हिंदी" पत्रिका के माध्यम से दस दिवसीय व्याख्यान माला के अंतर्गत "हमारा समाज और थर्ड जेंडर" विषय पर वाङ्गमय त्रैमासिक हिंदी पत्रिका के फेसबुक पेज से लाइव कार्यक्रम में आज दूसरे दिन चर्चित साहित्यकार डॉ. लवलेश दत्त ने अपने विचार रखे। उन्होंने सबसे पहले किन्नर समुदाय की पौराणिक मान्यताओं को बताया। उन्होंने कहा कि थर्ड जेंडर विमर्श सबसे पहले फिल्मों में आया और फिर साहित्य में। साहित्य में इस विमर्श पर उल्लेखनीय काम हो रहा है। लगभग 20 उपन्यास और कई कहानियाँ इस विषय पर आ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य में आकर ही कोई विमर्श कालजयी बन जाता है। इससे साहित्यकारों का दायित्व और बढ़ जाता है। उन्हें केवल किताबों तक सीमित न रहकर थर्ड जेंडर की स्थिति को सुधारने के लिए समाज में आगे आना होगा। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को आगे आना होगा और थर्ड जेंडर्स को अपने प्रतिष्ठानों और संस्थानों में नौकरी और रोजगार के अवसर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि थर्ड जेंडर को मुख्य धारा में लाना है तो उनके लिए आरक्षण भी दिया जा सकता है। इसके अलावा मंदिरों में पुजारी, अस्पतालों में सेवा, होटलों, रेस्टोरेंट, प्रेस आदि अनेक क्षेत्रों में नौकरी दिए जाने के लिए कहा। इसी क्रम में उन्होंने इस समुदाय पर लिखे गए अनेक उपन्यासों का विवेचन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से किन्नरों की दशा, उनकी सामाजिक स्थिति, उनकी समस्याएं आदि को उपन्यासों के माध्यम से रचनाकारों ने उठाने का प्रयत्न किया है।
इस फेसबुक लाइव कार्यक्रम को देश-विदेश के अनेक बुद्धिजीवी लाइव देख रहे थे।  इसका उद्देश्य थर्ड जेण्डर विषय पर आम पाठकों और लेखकों की मानसिकता में बदलाव लाना भी था।
फेसबुक लाइव मे 'अनुगुंजन' पत्रिका की पूरी टीम, 'अनुसंधान' पत्रिका की संपादक डॉ. शगुफ्ता नियाज़, ककसाड़ पत्रिका की संपादिका श्रीमती कुसुमलता सिंह, एएमयू हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर शम्भुनाथ तिवारी, डॉ. शमीम, रजनी गुप्ता, डॉ. ए. के पाण्डेय, प्रिंसिपल तनवीर अहमद, विकास प्रकाशन, कानपुर के पंकज शर्मा, मनीषा गुप्ता तथा वाङ्मय पत्रिका के सहसंपादक अकरम हुसैन के साथ बरेली के डॉ पंकज शर्मा, डॉ हितु मिश्रा, विकास शुक्ला, निधि अरोड़ा, डॉ कामरान खान, श्रीमती यामिनी दत्त, श्रीमती कृष्णा दत्त आदि के  अलावा देश विदेश से लगभग 2000 लोगों ने सुना और 100 से ज्यादा लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी।

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