सोमवार, 25 मई 2020

नेपाल सीमा विवाद गर्माने में चीन की कूटनीति- अकरम क़ादरी

नेपाल सीमा विवाद गरमाने में चीन की कूटनीति - अकरम क़ादरी

नेपाल भारत का वो छोटा भाई है जिसकी संस्कृति, संस्कार, परम्परा, त्यौहार, तीज, भाषा और बोलियां भारत से बहुत मिलती जुलती है लेकिन फिर भी चीन कूटनीति का सहारा लेकर हमें परेशान करने की नापाक साज़िश कर रहा है। दरअसल नेपाल कभी ग़ुलाम नहीं हुआ है इसलिए वहां उपनिवेशवाद की परंपरा भी नहीं है लेकिन उपनिवेशवाद की परंपरा को वर्तमान सन्दर्भ में बाज़ारबाद के बराबर देख सकते है जिसमे चीन ने महारत हासिल कर ली है नेपाल के अंदर चीन ने बाज़ारबाद की वो स्थिति पैदा कर दी है कि वहां पर लगभग 95 प्रतिशत सामान आपको मेड इन चीन ही मिलेगा जबकि इस अंधाधुंध दौड़ में भारत की मार्किट में भी 60 से 65 प्रतिशत तक चीन का ही कब्ज़ा प्रतीत होता है दरअसल उसका कारण भी है जो सामान हमारे यहां बना हुआ 500 का है वो चीन 200 से लेकर 225 तक मे उपलब्ध करा देता है क्योंकि चीन ने अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या का फायदा उठाया है जबकि हिंदुस्तान अभी तक यह काम नहीं कर पाया है जिसके कारण उसके पास टेक्नोलॉजी ज्यादा है हमारे यहां भावुक मुद्दों में जनता को फंसा कर धर्म के नशे की गोलियों को व्यापार चल रहा है जिसको मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी से निभा रहा है जबकि चीन जनसंख्या अधिक होने के कारण हमसे ज्यादा तरक़्क़ी कर रहा है इसी बल पर चीन आज अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को आंखे दिखा रहा है। वर्तमान महामारी में अमेरिका ने अनेक बार उसको धमकी देने की कोशिश की लेकिन उसने उल्टा ही जवाब दिया ।
अमेरिका की इस मुहिम में अपने चिरप्रतिद्वंद्वी चीन को भारत भी सहयोग देने की बात कर चुका है जिसके कारण चीन नेपाल को आगे करके पीछे से गेम प्लान कर रहा है जबकि उस सीमा पर भारत का अधिपत्य 18 वी सदी के आसपास का है लेकिन फिर भी चीन प्रायोजित झगड़े में नेपाल को आगे कर दिया गया।
चीन ने नेपाल को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है जिसमे उसने भाषिक तौर पर अपना काम शुरू कर दिया है। नेपाल में मंदारिन शुरू हो चुकी है जिसकी वजह से एक सांस्कृतिक बदलाव तो आएगा ही भाषा बदलेगी।
दूसरी तरफ नेपाल में बुद्धिज़्म का प्रचार-प्रसार भी चरम पर है जिसकी वजह से भाषा और संस्कृति का बदलाव हो रहा है। चीन धार्मिकता के साथ साथ भाषाई पैठ भी मज़बूत कर रहा है जिसकी वजह से चीन नेपाल पर अपना अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार कर रहा है जिसको हमारे भारतीय राजनेता नहीं समझ पा रहे है जबकि मोदी जी ने महेन्द्रनगर से दिल्ली बस यात्रा भी शुरू की जिसकी वजह से दोनो देशों में सांस्कृतिक, धार्मिक एवं राजनैतिक सम्भाव पैदा हो सके, लेकिन चीन लगातार मज़बूती से बाज़ारबाद को लेकर आगे बढ़ रहा है जिससे वो वहां ओर नेपाली नागरिको को रोजगार मुहैया करा रहा है। 
वर्तमान समय में जो सीमा विवाद उतपन्न किया गया है उसके पीछे भी प्रथम दृष्टया में निश्चित ही चीन का हाथ नज़र आता है जबकि कालापानी और लिपुलेख सीमा की संधि कई सदियों से पुरानी है फिर भी चीन पीछे बैठकर गेम प्लान करके खेल रहा है वो हमारे और नेपाल के रिश्ते ख़राब कराकर नेपाल को अपने करीब करना चाहता है जिससे जो कुछ भी नेपाल भारत से जाता है उसपर एकदम रोक लग सके और उसकी बाज़ारवादी नीति आगे बढ़ सके। 
इस संदर्भ में हमारे राजनेताओ और आंतरिक कलह भी एक कारण है जिस प्रकार से हमारी मीडिया ने जो नफ़रत की आग लगाई है उससे नेपाल को लगता है कि भारत कमज़ोर हो गया है लेकिन यहां सेचुशन बिल्कुल अलग है कुछ भावनात्मक मुद्दों को छोड़कर अगर कोई भी देश के खिलाफ षड्यंत्र करेगा तो उसको सभी धर्मों और जातियों के लोग जवाब देंगे क्योंकि यह हमारी देशभक्ति का सबूत है 

जय हिंद
अकरम हुसैन
फ्रीलांसर एंड पॉलिटिकल एनालिस्ट

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