मंगलवार, 26 मई 2020

यथार्थ जीवन का कड़वा सच है- मंगलामुखी

जीवन का कड़वा सच है : मंगलामुखी

वाङ्गमय त्रैमासिक हिंदी पत्रिका द्वारा आयोजित वेबिनार में आज 
भोपाल की प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. लता अग्रवाल के थर्ड जेंडर आधारित उपन्यास "मंगलामुखी " 
पर चर्चा हुई। चर्चाकार थे वरिष्ठ समीक्षक डॉ विजयेंद्र प्रताप सिंह एवम उपन्यासकार डॉ. लता अग्रवाल।

डॉ विजयेंद्र प्रताप ने कहा यह उपन्यास डॉ. अग्रवाल की किन्नर जीवन सम्बन्धी शोध की गम्भीरता को दर्शाता है। जिसमें उन्होंने सामान्य वर्ग के साथ उन्हें जोड़कर जो कथा विन्यास रचा है उससे दोनों वर्गों को जीवन की एक नई दिशा मिली है। उन्होंने कहा, उपन्यास में निहित प्रमुख पात्र महेन्द्री बेहद प्रभावशाली व्यक्तित्व बन पड़ा है जो पिता की नई परिभाषा गढ़ता है । इसके साथ ही आजीविका को लेकर उनकी विडंबना तथा आम समुदाय द्वारा रोजगार के नाम पर वसूली के लिए उनका प्रयोग, नकली किन्नर की समस्या जैसी विसंगतियों की ओर भी लेखिका ने अच्छा प्रकाश डाला है। भाषा की दृष्टि से उपन्यास में सुंगठित और संयमित तथा किन्नर समुदाय की व्यवहारिक भाषा का प्रयोग किया गया है ।

लता जी ने उपन्यास में किन्नर समुदाय द्वारा बद्दुआ को लेकर जनमानस में जो भ्रांति है उसके वैज्ञानिक पक्ष पर भी बेहतर लेखन हुआ है। कई मायनों में यह उपन्यास अपनी नई भावभूमि और यथार्थता के साथ साहित्य जगत में अपने लिए खास मुकाम बनाएगा।

वहीं उपन्यासकार डॉ लता अग्रवाल ने उपन्यास के पात्रों और उनके जीवन की व्यथा-कथा को लेकर पाठकों से चर्चा की। उपन्यास की रचना प्रकिया को लेकर डॉ. लता ने कहा कि आसान नहीं है किसी के व्यक्तिगत जीवन मे झाँकना, हम भी किसी को कितना स्पेस देते हैं अपने निजी जीवन में। मुझे 2 वर्ष लगे उनसे संवाद बनाने में। 

तमाम ज़िंदगियों की व्यथा सुनने के बाद लेखकीय बोध मुझे चुनौती दे रहा था कि उनकी पीड़ा को समाज से साझा करूँ ताकि यह साहित्य वाकई समाज को आइना दिखा सके और समाज अपनी छवि में परिवर्तन कर पाए।बहुत मुश्किल होता है अपनों से जुदा होकर जीना। यह व्यवस्था बदलनी चाहिए । इस वेबिनार में कई शोधार्थी छात्र भी हैं जो नए तर्क के साथ समाज में जागृति का कार्य करेंगे ऐसी आशा करती हूँ।

इस गोष्ठी में उपस्थित  दर्ज कराई लंदन की सुश्री अरुणा सबरवाल जी, प्रो. शंभूनाथ तिवारी जी, भगवानदास मोरवाल,  अग्रवाल, ममता वाजपेयी, डी सी भावसार जी, डॉ. पुनीत बिसारिया, डॉ फिरोज खान, डॉ शगुफ्ता , डॉ शमीम, डॉ तनवीर अख्तर, प्रो गजनफर अली, डॉ आसिफ, रोशनी, मनीष कुमार, रिंक्की, दीपांकर कुमार,  पंकज वाजपेयी, वाङ्गमय के सहसंपादक अकरम हुसैन के अतिरिक्त कई शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।


https://youtu.be/f7kobk4ZM78
सुनिए मंगलामुखी पर साहित्यिक समीक्षा
डॉ. विजयेंद्र प्रताप सिंह जी को

https://youtu.be/lsd_BgJw9Lo
सुनिए मंगलामुखी उपन्यासकार 
डॉ. लता अग्रवाल जी को

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